tag:blogger.com,1999:blog-79461536659383083872024-03-13T19:36:04.891-07:00गुरु-घंटाल (Grooghantaal)अहं ब्रह्मास्मि.........shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-41687781077102108592011-11-15T09:11:00.000-08:002011-11-15T09:29:21.640-08:00जुलाई २००१ की शायरीअपने गुनाहों को कहीं भूल न जाऊं<br />इसलिए बद्दुआएं उसकी साथ रखता हूँ.shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-50135552341904343362009-03-21T03:27:00.000-07:002009-03-21T03:36:11.089-07:00आने वाले समय में इलेक्ट्रोनिक पत्रकारों का रिज्यूम<span style="font-size:130%;"><strong>नाम:-</strong></span> <span style="color:#000099;">काल- कपाल</span><br /><strong><span style="font-size:130%;">योग्यता:-</span></strong> <span style="color:#000099;">२५ प्रकार के साँपों की पहचान है।</span><br /><strong><span style="font-size:130%;">अनुभव:-</span></strong> <span style="color:#000099;">पिछले १२ वर्षों से सपेरे का काम कर रहे हैं। </span><br /><span style="color:#000099;"></span><br /><span style="color:#cc0000;">यह रिज्यूम होगा आने वाले सालों में टीवी चैनल्स के लिए अप्लाई करने वाले सर्पकारों का....ऊप्स सॉरी सो कॉल्ड पत्रकारों का। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में जिस तरह नागों की फेस वैल्यू बढती जा रही है, हो सकता है सपेरों को अपनी फेस वल्यु पता चले और वे आने वाले सालों में इस क्षेत्र में अपना कैरिअर बनाना चाहें। </span><br /><span class=""></span><br /><span style="color:#006600;">सोंचिये यदि ऐसा हुआ तो क्या होगा? </span><br /><span class=""></span><br /><span style="color:#000099;">नाग-पंचमी का दृश्य स्टूडियो में एक सर्पकार कह रहा होगा - हम अपने दर्शकों को बता दें की आज दिन है नाग लोक के राष्ट्रीय त्यौहार का। आज के दिन आज यहाँ झंडा वंदन होता है। शेषनाग और तक्षक राष्ट्र के नाम सन्देश प्रेषित करते हैं और फुंफकार प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। आज के दिन सभी लोग एक-दूसरे को दूध पिलाते हैं। </span><br /><span style="color:#000099;">तो क्या रिपोर्टर बेरोजगार हो जायेंगे?</span><br /> <br /><span style="color:#990000;">नहीं जी..... रिपोर्टर घर-घर जाकर पृथ्वी लोक के प्राणियों को टोकरी में रखे कैमरे और माइक दिखायेंगे। लोग उनकी पूजा करेंगे और पत्रकारों को पैसे और पुराने कपड़े देंगे।</span> <br /><span class=""></span><br /><span style="color:#006600;">तो आगे-आगे देखिये होता है क्या?</span> <br /><br /><br /><span style="color:#000099;">आगे के दृश्यों की चर्चा अगले अंक में....</span><span style="color:#990000;">इजाजत दीजिये....</span><span style="color:#006600;">नमस्कार। </span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span style="color:#cc33cc;">साभार: नम्रता पंडित</span>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-37988531296889906722009-01-09T03:19:00.000-08:002009-01-09T04:21:28.893-08:00एचआईवी पीड़ित और एड्स पीड़ित में अन्तर<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhg5N2lvekLhWEfLwor3VpYkwaSBTIsdlvxaTHUVY_0ZV-yiqE9nEjkfapGKVXBKbnvEQ21olhpg6AssUU8_Wl6DVstJLNm9EQmxMpoGgSDeF8ClLbxzf8XMpJ-CIX8JF6H0q5AZQuzrk/s1600-h/ribbon.png"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5289263534282613186" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 186px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhg5N2lvekLhWEfLwor3VpYkwaSBTIsdlvxaTHUVY_0ZV-yiqE9nEjkfapGKVXBKbnvEQ21olhpg6AssUU8_Wl6DVstJLNm9EQmxMpoGgSDeF8ClLbxzf8XMpJ-CIX8JF6H0q5AZQuzrk/s320/ribbon.png" border="0" /></a><br /><div><span class=""><strong><em><span style="color:#000099;">मित्रों, एक बार फ़िर से आप लोगों के सामने एक नई कविता लेकर हाजिर हूँ. इस नव वर्ष कि यह प्रथम रचना है. आशा है कि आप लोगों को यह पसंद आएगी.</span></em></strong> </span></div><br /><div><span class=""></span></div><br /><div><span class=""></span></div><br /><div>जी हाँ, मैं एचआईवी पोजिटिव हूँ, </div><br /><div>मात्र एचआईवी पोजिटिव, </div><br /><div>एड्स पीड़ित नही। </div><br /><div>लेकिन आप लोग एड्सग्रसित दिखते हैं </div><br /><div>सोंचिये ऐसा क्यों है ?</div><br /><div>चक्कर में पड़ गए न </div><br /><div>कि बिना एचआईवी के एड्स रोगी? </div><br /><div>जी हाँ, यह कटु सत्य है </div><br /><div>मैं समाज में पहले की भांति ही जीना चाहता हूँ,</div><br /><div>मैं चाहता हूँ की लोग मेरे प्रति सहानुभूति न रखें,</div><br /><div>मेरे साथ अछूत जैसा व्यवहार न करें। </div><br /><div>लेकिन </div><br /><div>यह एड्सग्रस्त समाज है </div><br /><div>जिसमे तथाकथित, </div><br /><div>जी हाँ तथाकथित </div><br /><div>बुद्धिजीवी, समाजसेवी और उत्कृष्ठ लोग रहते हैं, </div><br /><div>जो मेरे जीने की इच्छा को </div><div><span class=""></span></div><div><span class=""></span> </div><div>दबाकर ख़त्म कर देना चाहते हैं, </div><br /><div>मुझे मरना चाहते हैं। </div><br /><div>अब आप ही बताएं </div><br /><div>कि एड्स पीड़ित कौन है? </div><br /><div>जानलेवा बीमारी से ग्रसित कौन है? </div><br /><div>क्या वो नही </div><br /><div>जो एचआईवी पीड़ित की जान लेना चाहते हैं। </div><br /><div>बेहतर होगा कि </div><br /><div>आप मेरी अपेक्षा </div><br /><div>इन तथाकथितों की चिंता करें </div><br /><div>और </div><br /><div>इनके इलाज कि व्यवस्था करें </div><br /><div>अगर </div><br /><div>इस एड्स ग्रसित समाज को </div><div><span class=""></span> </div><div>इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति मिल गई </div><br /><div>तो एचआईवी पीडितों को </div><br /><div>मात्र एचआईवी से लड़ना पड़ेगा, </div><br /><div>समाज से नही। </div><br /><div>और </div><br /><div>वे बेहतर ढंग से जीवन जी सकेंगे, </div><br /><div>जी हाँ, </div><br /><div>जीवन को जी सकेंगे। </div><br /><div></div><br /><div><span style="color:#000099;">चित्र साभार : गूगल</span><span style="color:#000099;"><span class=""> </span></span></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-56409415026262218082008-12-01T01:36:00.000-08:002008-12-01T02:22:04.615-08:00''आमची मुंबई'' और ''मराठी मानुष'' के नारों वाले महाराष्ट्र के ठेकेदार कहाँ छिप गए?????<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijLskf4hyphenhyphencEFQQT4A-G80zg3OG6aBgLg_IGz4fwNJDgM0EGZ82E-WyThluUk_8E1xf8b6XREfZ2bbv7JN1Ka7LvFDWY_u-xV8OT1nfaEaaRebKGMPi2oSYSgr_zBGY4lCEQIDIvF0d9XQ/s1600-h/683459_a1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5274764423108258994" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 256px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijLskf4hyphenhyphencEFQQT4A-G80zg3OG6aBgLg_IGz4fwNJDgM0EGZ82E-WyThluUk_8E1xf8b6XREfZ2bbv7JN1Ka7LvFDWY_u-xV8OT1nfaEaaRebKGMPi2oSYSgr_zBGY4lCEQIDIvF0d9XQ/s320/683459_a1.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgz948hplCNY8xDnfP_ZJiJUxdNEXrMEnYVD1aW_OZ4u0MebfD3pZhYPet9_IzeggIL2crX0f1I1qrxRKAYw8zES3DF7qhKZRj_B4JgJHLPEbn608sr1RCLnS0-ZgHKhGR0OcuMRBFcNiA/s1600-h/thakeray_65.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5274764427216431426" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 241px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgz948hplCNY8xDnfP_ZJiJUxdNEXrMEnYVD1aW_OZ4u0MebfD3pZhYPet9_IzeggIL2crX0f1I1qrxRKAYw8zES3DF7qhKZRj_B4JgJHLPEbn608sr1RCLnS0-ZgHKhGR0OcuMRBFcNiA/s320/thakeray_65.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div>अभी तक मराठी गौरव और महाराष्ट्र अस्मिता का दंभ भरने वाले स्वघोषित महाराष्ट्र के रक्षक कहाँ गायब हो गए, कुछ पता ही नही चला। अब जब आतंकियों ने महाराष्ट्र पर हमला किया तो क्या ये हाथों में चूडियाँ पहन और घूंघट निकल कर घरों में दुबक गए। गरीबों और कमजोरों को खुलेआम पीटना तो इनकी बहादुरी थी, तो अब इनकी बहादुरी कहाँ चली गई? </div><div><span class=""></span> </div><div>मैं नही कहता कि जाकर आतंकियों से भिड जाओ लेकिन कम से कम अपनी फौज को घायल और असहाय लोगों कि मदद के लिए लगा सकते थे। मानवता के लिए न सही महाराष्ट्र के लिए करते। तब मैं भी समझता कि हाँ आप कुछ करना चाहते है महाराष्ट्र के लिए। </div><div><span class=""></span> </div><div>आप के कुकृत्यों से सारे देश और आतंकियों में यह संदेश गया कि आप जैसा टुटपुंजिया नेता अगर पूरे देश और सारे महाराष्ट्र को नचा सकता है और सत्ता और प्रशासन आपकी रखैल बन सकती है तो वो मात्र ८-१० कि संख्या में पूरे राष्ट्र को घुटनों पर बैठने को विवश कर सकते हैं। और उन्होंने यह किया भी, लेकिन भला हो देश के उन जाबांज सपूतों का जिन्होंने इसे असफल कर दिया। </div><div><span class=""></span> </div><div>आपने थोडी सी नाक काटी तो उन्होंने बुलंद हौसलों के साथ पूरी नाक काटने कि कोशिश की। इन दोनों घटनाओं में एक साम्यता यह है कि दोनों में हमारे नपुंसक राजनीतिज्ञ अपनी घटिया हरकतों का प्रदर्शन करते रहे मात्र वोट बैंक के लिए। </div><div><span class=""></span> </div><div>अगर जरा सी भी जलालत और इज्जत बची हो तो फ़िर कभी भी मराठी गौरव का रक्षक बनने की कोशिश न कीजियेगा। यह मेरी आपको एक भारतीय होने के नाते एक सलाह है। </div></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-79392931748213520752008-11-29T02:59:00.000-08:002008-11-29T06:19:37.809-08:00क्या हमारी हालत पाकिस्तान से भी बदतर है ???<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTdsYIkLWMvbz8ad5U7eeVDsjXA_qjzMYinfEKLpDA4VeKoiNwprO4Stq6zi90wE0EsEj4p3Hpv-q-KSj4ke0XRujGcLUM7IOGcHjtR89VHTBWDxlSEqBFxKJRJedQ1W1T-EXoD9ZFewE/s1600-h/26india3-600.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5274078274013595986" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 183px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTdsYIkLWMvbz8ad5U7eeVDsjXA_qjzMYinfEKLpDA4VeKoiNwprO4Stq6zi90wE0EsEj4p3Hpv-q-KSj4ke0XRujGcLUM7IOGcHjtR89VHTBWDxlSEqBFxKJRJedQ1W1T-EXoD9ZFewE/s320/26india3-600.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcarnaMoq3fO-lFDXDSnVHAOYC8hGA-lYuoUdOoio3-QWr-_YNEKp4bN2VL_q4KOs_IXzIYXDEg0ThQvzyyWGlH_UIOdNQuJZhDfl4mzB6GUazZZVqiigas_Rdl-goIyuT-lQLjevtU5E/s1600-h/800px-Taj_Mahal_Palace_Hotel_at_night.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5274066315680297906" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcarnaMoq3fO-lFDXDSnVHAOYC8hGA-lYuoUdOoio3-QWr-_YNEKp4bN2VL_q4KOs_IXzIYXDEg0ThQvzyyWGlH_UIOdNQuJZhDfl4mzB6GUazZZVqiigas_Rdl-goIyuT-lQLjevtU5E/s320/800px-Taj_Mahal_Palace_Hotel_at_night.jpg" border="0" /></a><br /><br /><br /><p><strong>जी हाँ</strong> , उपर्युक्त शीर्षक पर विचार करें तो जबाब मिलता है- <span class=""><strong>हाँ</strong> </span>। </p><p>पाकिस्तान में रोज बम धमाके हो रहे हैं, प्रतिदिन आतंकी गोलियों की बौछार करते हुए किसी को भी मौत के घाट उतार देते हैं, आतंकी पूरे पाकिस्तान में जहाँ चाहें वहां आसानी से हमला कर सकते है और किसी को भी बेरोकटोक निशाना बना लेते हैं। हम उनका मजाक उड़ते हैं, उनके परमाणु प्रतिष्ठानों और परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। </p><p>अब जरा गौर करें कि क्या ऐसे ही हालात भारत में नही निर्मित हो गए हैं? </p><p>लश्कर-ऐ- तैयबा के जैसी कार्यप्रणाली पर काम करने ये वाले आतंकी ख़ुद को इंडियन मुजाहिद्दीन या डेक्कन मुजाहिद्दीन के छद्म नाम से प्रचारित करते है और हमले के पहले सूचना देते हैं कि हम आमुक स्थान पर हमला करने जा रहे हैं यदि दम है तो रोक लो? </p><p>हमले के बाद हमारी सुस्त कार्य प्रणाली हरकत में आती है और किश्तों में जांच शुरू कि जाती है। जांच ही काफ़ी दिनों तक घसीट-घसीट कर चलती है और निष्कर्ष नही आ पाता है। यदि किसी ठोस नतीजे पर पहुँच भी जाएँ तो उसे सजा नही दिला पाते। इस पूरी कार्यवाही के दौरान मानवाधिकार वाले खूब हल्ला मचाते हैं और विभिन्न राजनैतिक दल राष्ट्रहित को तिलांजलि देकर अपना वोट बैंक और स्वहित देखते हैं। </p><p>लश्कर-ऐ- तैयबा द्वारा प्रशिक्षित सिमी के ये कार्यकर्ता छोटे-छोटे गुटों में बंटकर नकली नाम से अपने मिशन को अंजाम देते हैं। और जरूरत पड़ने पर ये गुट साझा होकर भी अंजाम देते हैं। घटना के बाद हमारे राष्ट्र को चलने वाले बयान देते हैं कि- हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं, सीमा पार प्रायोजित है, आतंकियों को बख्शा नही जाएगा, हम छोडेंगे नही आदि। अरे भाई! पहले पकडो तो सही। अगर मालूम है कि सीमा पार प्रायोजित है तो उचित कार्यवाही क्यों नही करते? वैश्विक दबाव काहे नही बनवाते? खाली <strong>''थोथा चना बाजे घना''</strong> वाली कहावत चरित्रार्थ हो रही है। </p><p><strong>उत्तर-प्रदेश, जयपुर, बेंगलूर, अहमदाबाद, दिल्ली, असम और फ़िर मुंबई।</strong> क्रमशः इन जगहों को ये अपना निशाना बनाते हैं और हम हर बार दावा करते हैं कि हमारी सुरक्षा व्यस्था टाइट है। इसी दावे के तुंरत बाद हम फ़िर से निशाना बनते है। मतलब साफ़ है कि वो जब, जहाँ, जैसा चाहते हैं वैसा कर डालते हैं और हम देखते रह जाते हैं। </p><p>इसको देखते हुए क्या हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों कि सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न नही खड़ा होता है? क्या हमारी हालत पकिस्तान से भी ज्यादा ख़राब नही है? धनबल में, सांख्यबल में, रुतबे में, हर दृष्टि में पकिस्तान से बेहतर हैं, हम पर किसी भी राष्ट्र का कोई दबाव भी नही है फ़िर भी हमारी हालत उन्ही के बराबर है तो इसका क्या मतलब निकला जाय? </p><p>हमारे यहाँ <span style="color:#000000;">आतंकवाद सम्बन्धी कड़े कानूनों का अभाव</span> है? संघीय जांच एजेंसी नही है। केन्द्र और राज्य सरकारों में तालमेल का आभाव है। ऐसे मौकों पर राजनैतिक लाभ और वोट बैंक की राजनीति हमेशा अडी रहती है। इस पर खुफिया असफलता, मीडिया की नकारात्मक भूमिका, हर एक पल को सनसनीखेज बनाकर पेश करना और जनता की निष्क्रियता <strong>''कोढ़ में खाज''</strong> जैसी हो गई है। </p><p>अन्य राष्ट्रों में चुनावी मुद्दे विदेश नीति, नागरिक सुरक्षा, विकास आदि रहते हैं तो हमारे यहाँ जाति, वंश, बाहुबल आदि रहते हैं। जनता इसके विरोध में उठ खड़ी भी नही होती। वो तो सोंचती है मैं मजे में हूँ बाकि जाए भाड़ में, मुझे क्या लेना है या फ़िर इस चौपाई के सहारे जी रही है की- <strong>'' होएहै वही जो राम रचि राखा ''।</strong> </p><p><strong><span style="color:#990000;">अभी भी वक्त रहते सचेत न हुए तो निश्चय ही पकिस्तान से पहले हम बर्बाद हो जायेंगे।</span></strong> </p></div><br /><p> </p><p>चित्र साभार: गूगल</p>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-90762232093045558722008-11-29T02:44:00.000-08:002008-11-29T02:59:06.607-08:00श्रधांजलि और नमनभारत देश की आर्थिक राजधानी और युवा धड़कनों का शहर मुंबई बुधवार को आतंकी हमलों की चपेट में एक बार फ़िर से आ गया। यहाँ आतंकियों ने खुलेआम मौत बरसाई और पूरे शहर को हैण्डग्रेनेड और गोलियों की बौछार से ढक दिया। <strong>इसमे मारे गए लोगों को मेरी ओर से हार्दिक श्रधांजलि और इन आतंकियों से लोहा लेते और लोगों को बचाने में शहीद हुए लोगों को दिल से नमन।</strong>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-53589032323801014062008-11-22T07:07:00.001-08:002008-11-22T07:32:52.202-08:00विज्ञान के चमत्कार...<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4bB4HIMPFG9fM36BSNXz6A5esdm8tHRS-HPJDjbCPH0WuXFFxdbw_lscPchOqzpw1ObxwT9F2dAdd_kWqtSfgE2MQLq8FWYrXaoJdK2Po77R1KZy0FrjCtudSrYC6C5JKhk5TXj27tvs/s1600-h/telephone.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5271499452352614834" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 238px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4bB4HIMPFG9fM36BSNXz6A5esdm8tHRS-HPJDjbCPH0WuXFFxdbw_lscPchOqzpw1ObxwT9F2dAdd_kWqtSfgE2MQLq8FWYrXaoJdK2Po77R1KZy0FrjCtudSrYC6C5JKhk5TXj27tvs/s320/telephone.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiGhj6jWIiVhZfzLHJP60cAXXCIXnyg9T6ztnurIZ7GQm-jw-IRkGrvJg_PLX4waVqHiJGN6Q2KXw48nAIB9cdESR_71vBe5rJovCOC4caH4dBRZLWtnIFHnWLY25eWYiFnBIu7rT3NNBY/s1600-h/radhakrishna_full.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5271499449795195106" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 200px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiGhj6jWIiVhZfzLHJP60cAXXCIXnyg9T6ztnurIZ7GQm-jw-IRkGrvJg_PLX4waVqHiJGN6Q2KXw48nAIB9cdESR_71vBe5rJovCOC4caH4dBRZLWtnIFHnWLY25eWYiFnBIu7rT3NNBY/s320/radhakrishna_full.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgorDPpLT3kA_fsWd0e-7JssaklsrjgckanZfs8wS9R6LuU0jjD-gMUQevucLMoxbZdxWTM-i48PVz6O-gs8kNaRRHKZekiy7Qmc7w_y0iLgckHl_DtnDbzlpQPOgR69l9CkGkhWLrzOOw/s1600-h/Fire_Briged_Engines.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5271499444892707986" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 239px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgorDPpLT3kA_fsWd0e-7JssaklsrjgckanZfs8wS9R6LuU0jjD-gMUQevucLMoxbZdxWTM-i48PVz6O-gs8kNaRRHKZekiy7Qmc7w_y0iLgckHl_DtnDbzlpQPOgR69l9CkGkhWLrzOOw/s320/Fire_Briged_Engines.jpg" border="0" /></a><br /><br /><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0Akd5CX163d6y5S8ByFeU4Q-dIa6nI0nVHYhJp3mxEU9YncexAzRfxUVKIX4nE-dVxv6oeykbdxXLvX-Ir34FFpurJn53Ab_p7rDRrq7BaIxfH-gkonVo-6gQ1n6_Wv9MOVEul-zd9zU/s1600-h/pg_ravan1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5271499443405350098" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 198px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0Akd5CX163d6y5S8ByFeU4Q-dIa6nI0nVHYhJp3mxEU9YncexAzRfxUVKIX4nE-dVxv6oeykbdxXLvX-Ir34FFpurJn53Ab_p7rDRrq7BaIxfH-gkonVo-6gQ1n6_Wv9MOVEul-zd9zU/s320/pg_ravan1.jpg" border="0" /></a><br /><br /><br /><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj-NVnvfVWhOiaBpZxgn-eIvaFU1f1i7WB9Fw8S7O5xfp9yd_C-b0ll-IoMdzKVWNKa5hLvCfUzJ5NYYBtvsMaD97r0oq5yl8Xi2dHudWXF4w6tVXsz2xBXAz44JZF7hoVVpAWVAysqoqQ/s1600-h/Lanka-dahan1024.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5271499440906741458" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj-NVnvfVWhOiaBpZxgn-eIvaFU1f1i7WB9Fw8S7O5xfp9yd_C-b0ll-IoMdzKVWNKa5hLvCfUzJ5NYYBtvsMaD97r0oq5yl8Xi2dHudWXF4w6tVXsz2xBXAz44JZF7hoVVpAWVAysqoqQ/s320/Lanka-dahan1024.jpg" border="0" /></a><br /><span style="color:#000099;"><strong><em><span style="color:#009900;">'टेलीफोन' </span></em></strong>होता अगर <strong><em><span style="color:#009900;">'मथुरा'</span></em></strong> से <strong><em><span style="color:#009900;">'द्वारिका'</span></em></strong> को </span></div><div><span style="color:#000099;">तो <span style="color:#009900;"><strong><em>'कृष्ण'</em></strong> </span>के वियोग में <span style="color:#009900;"><strong><em>'राधा'</em></strong> </span>बिलखती क्यों?</span></div><div><span style="color:#000099;"></span> </div><div> </div><div><span style="color:#000099;"></span></div><div><span style="color:#000099;"></span></div><div><span style="color:#000099;"></span></div><div><span style="color:#000099;"><strong><em><span style="color:#009900;">'फायर-ब्रिगेड'</span></em></strong> होता अगर <strong><em><span style="color:#009900;">'राजा-रावण'</span></em></strong> पास </span></div><div><span style="color:#000099;">तो <strong><em><span style="color:#009900;">'कपि'</span></em></strong> के जलाये <strong><em><span style="color:#009900;">'स्वर्ण लंका'</span></em></strong> यों जलती क्यों?</span></div><div></div><div><br /><br /><br /><br /></div><div></div></div></div></div><br /><span class="">चित्र साभार</span> : गूगलshivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-89949994806701322572008-09-13T01:14:00.000-07:002008-09-13T01:46:46.848-07:00जय सिंगूर<div align="left"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_yVwNOA05IKGAx-faEZN5I11Doaqci5yUdm0lVKEsf7rqxHx7p87Ik5vgZ9xQbm4et9N_0EzgHJVo_7Su0tT0GGAhldQ7QFsASC10Bns4cgrtfeNfS-VmjHzOKJqejLPiy2XWqoxdpF0/s1600-h/tttttt.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5245420362627873378" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_yVwNOA05IKGAx-faEZN5I11Doaqci5yUdm0lVKEsf7rqxHx7p87Ik5vgZ9xQbm4et9N_0EzgHJVo_7Su0tT0GGAhldQ7QFsASC10Bns4cgrtfeNfS-VmjHzOKJqejLPiy2XWqoxdpF0/s320/tttttt.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi83aR-1V1rg85t4SVPfwPsowB3Gj6K9cVGFHgWhY2_KwfCf8f_BERlXFZG0_I7OSPVWjRChGAVLqiU_7Onne3uf2XigeUGS9EbBALlTDEryiDGEvAJQlrJvEO6D3mW_s4ZMILlCPQ1xfg/s1600-h/ssssssssss.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5245420366676137666" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi83aR-1V1rg85t4SVPfwPsowB3Gj6K9cVGFHgWhY2_KwfCf8f_BERlXFZG0_I7OSPVWjRChGAVLqiU_7Onne3uf2XigeUGS9EbBALlTDEryiDGEvAJQlrJvEO6D3mW_s4ZMILlCPQ1xfg/s320/ssssssssss.jpg" border="0" /></a><br /><div align="left"><strong><span style="color:#000099;">सिंगूर पर एक कविता प्रेषित कर रहा हूँ, आशा है पसंद आएगी।</span></strong> </div><br /><br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर</strong><br /><span class=""></span><br />टाटा के खट्टे अंगूर<br />ममता बनी उत्पाती लंगूर<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br />इनकी खींचातानी से<br />बुद्धू के गाल हुए<br />जैसे लाल चटक सिन्दूर<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br />सपा,भाकपा,ममता,मेधा<br />के गठजोड़ ने किया मजबूर<br />टाटा के नैनो का सपना<br />सिंगूर से हो गया अति दूर<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br />नैनो के बहार जाने से<br />लाखों रोजगार बंगाल से फुर्र<br />करोड़ों के अड़तीस सेज भी<br />बंगाल छोड़ने को मजबूर<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br />अचुतानंद,बिशनोई,राणे को<br />भी भूमि अधिग्रहण नही मंजूर<br />डीएलएफ,सत्यम,इन्फोसिस भी<br />बंगाल छोडेंगे हुजूर<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br />एट्टीननाइंटीफोर क़ानून ने<br />विकास पथ में बिखराए शूल<br />आर एंड आर की नीति नही<br />तो कैसे खिलेंगे विकास के फूल<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br />बाद में बंगाली भी सोंचेंगे<br />ममता ने की भरी भूल<br /><strong>जय सिंगूर,जय-जय सिंगूर....</strong><br /><br /><br /><strong><span style="color:#000099;">चित्र :- साभार गूगल</span></strong> </div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-78750242053838214272008-09-04T03:22:00.000-07:002008-09-04T06:57:09.348-07:00गोरखा भारी, सरकार हारी......<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh-YW8x79udPdQaoLOd1SKNzHi-Kp8kCVpVOZjRw8V9HoN0wt8B-o0NDHQmT14AZ0PnHS0qdLzQD1tDRdHPi2nAQEYNSK6Zg5J8qlmM1Tx7ToirhQ7NLZC5MgoQfGpXTkA35wzTKhwRw-4/s1600-h/rr12map.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5242163301930812786" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh-YW8x79udPdQaoLOd1SKNzHi-Kp8kCVpVOZjRw8V9HoN0wt8B-o0NDHQmT14AZ0PnHS0qdLzQD1tDRdHPi2nAQEYNSK6Zg5J8qlmM1Tx7ToirhQ7NLZC5MgoQfGpXTkA35wzTKhwRw-4/s320/rr12map.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBa2OQKYoINCrhnkBiuYOjwA_ELARcVQb-reAXvXdAwf9CnYI1ah0uItx7kiB2OxRXUFJmBVTQ9rR8junOhAlIvJL6_yqYt6rS6YrYOrABloIa15_9yxW3faM0o3HgE_xoEnIxhPiivME/s1600-h/gnlf+flag.png"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5242163305784669426" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBa2OQKYoINCrhnkBiuYOjwA_ELARcVQb-reAXvXdAwf9CnYI1ah0uItx7kiB2OxRXUFJmBVTQ9rR8junOhAlIvJL6_yqYt6rS6YrYOrABloIa15_9yxW3faM0o3HgE_xoEnIxhPiivME/s320/gnlf+flag.png" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNyFwyfzhtnlAQVvToPsrVDEG0Og3kCYaz5h5yd8pCXvK0bO0-eoFz_Hr_zxzlQae7KFXGqT7mUT_XzBtCNhDR54WQMW1X_s1uzWIBcqlSasE04tc4n2QmP1XxXcWpZqnUDgNwfwuKapw/s1600-h/ghising.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5242163303280873282" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNyFwyfzhtnlAQVvToPsrVDEG0Og3kCYaz5h5yd8pCXvK0bO0-eoFz_Hr_zxzlQae7KFXGqT7mUT_XzBtCNhDR54WQMW1X_s1uzWIBcqlSasE04tc4n2QmP1XxXcWpZqnUDgNwfwuKapw/s320/ghising.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhX4PT-Rtxs2WsKjQbTlsJdl-ohY9qWEEc2KOh3za10zSUhBStKkhYqFpX1WmtrNLjbItkfYKAHlVnk10ZJrfrIZdv3ptpa-qUQBJEv5_wshASYgIz5wF5aGaXhTd0NVi8H7TgOhoi2kcI/s1600-h/2198300030_30ebdbd5c1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5242163309907906754" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhX4PT-Rtxs2WsKjQbTlsJdl-ohY9qWEEc2KOh3za10zSUhBStKkhYqFpX1WmtrNLjbItkfYKAHlVnk10ZJrfrIZdv3ptpa-qUQBJEv5_wshASYgIz5wF5aGaXhTd0NVi8H7TgOhoi2kcI/s320/2198300030_30ebdbd5c1.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiioKy7G6Rh6Bn3lhgP5Eei8eq8ApNIpdCB4XX2K-9m8jciYW8cMu88RxN7KCmUrTuX7g64rBNNUYfjpjh8EVlbxIuaUizZb25yWqiq5XZgGQPWVx4nqMJkq6XSrWg-Slg_exutrTeD5AQ/s1600-h/gurang.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5242163311087885218" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiioKy7G6Rh6Bn3lhgP5Eei8eq8ApNIpdCB4XX2K-9m8jciYW8cMu88RxN7KCmUrTuX7g64rBNNUYfjpjh8EVlbxIuaUizZb25yWqiq5XZgGQPWVx4nqMJkq6XSrWg-Slg_exutrTeD5AQ/s320/gurang.jpg" border="0" /></a><br /><div><span class=""> गोरखा</span> जनमुक्ति मोर्चा ( जीजेएम ) ने पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग पर्वतीय क्षेत्र में सामानांतर सरकार की स्थापना कर ली है। मोर्चा ने २ महीने पहले ही गोरखालैंड का नक्शा तय किया और उसके नेताओं ने नक्शे के हिसाब से सीमा पर झंडे भी गाड़ दिए। मोर्चा स्वप्रस्तावित क्षेत्र में वाहनों के नंबर प्लेट बदलवा रही है और ड्रेस कोड भी लागू कर रही है। पृथक राज्य की मांग करने वाले जीजेएम की तानाशाही के आगे राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने घुटने टेक दिए हैं।<br /><span class=""> हांलाकि</span> अलग राज्य की मांग की लडाई १९८० में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट ( जीएनएलएफ ) ने शुरू की थी। बाद में वह स्वायत्ता के लिए तैयार हो गई थी। जब इसने दार्जलिंग को भारतीय संविधान की ६वीं अनुसूची के अंतर्गत लाना चाहा तो जीएनएलएफ और विमल गुरांग के बीच दरार पड़ गई और विमल ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा बना लिया। साथ ही दार्जलिंग क्षेत्र को अलग राज्य बनने के लिए फ़िर नए सिरे से अभियान छेड़ दिया।<br /><span class=""> २८</span> जुलाई को जीजेएम ने दार्जलिंग क्षेत्र में स्वराज की घोषणा की. जिसके अंतर्गत सभी अधिकारियों को बंगाल सरकार के बजाय उनके नेताओं से आदेश लेने का फरमान जारी किया। साथ ही गुरांग ने कहा कि अब स्थानीय स्तर के सभी मामले मोर्चा देखेगी और बंगाल सरकार का कोई दखल नही होगा। यह अलग राज्य कि दिशा में पहला कदम है। इसी प्रकार बंगाल सरकार अप्रभावी होगी।<br /><span class=""> कुछ</span> दिनों पूर्व फायरिंग में मोर्चा समर्थक एक महिला मारी गई थी और आरोप था कि घिसिंग की जीएनएलएफ के एक नेता ने करवाया था। इसके बाद जीएनएलएफ के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई। दार्जलिंग गोरखा हिल कौंसिल के अध्यक्ष सुभाष घिसिंग के घर पर हमला हुआ और कौंसिल के ४ पार्षदों के घर जला दिए गए। पहाडियों के बेताज बादशाह घिसिंग को पहाड़ छोड़कर भागना पड़ा और उत्तरी बंगाल के सिलीगुडी में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद जीएनएलएफ और सत्तारूढ़ कमुनिस्ट पार्टी के बहुत से नेताओं को जाने का आदेश दे दिया।<br /><span class=""> इसके</span> बावजूद भी मोर्चा का दावा है की आन्दोलन लोकतांत्रिक है। गुरांग ८ सितम्बर की दिल्ली की त्रिपक्षीय बैठक का इंतजार भी कर रहे हैं और पहाडी क्षेत्रों में अपनी हुकूमत भी चला रहे हैं।<br /><span class=""> वाहनों</span> के नंबर प्लेट में डब्ल्यू बी ( वेस्ट बंगाल ) की जगह जी एल ( गोरखालैंड ) करने की अन्तिम समय सीमा सरकारी वाहनों के लिए ७ अगस्त और निजी के लिए २५ अगस्त मोर्चा ने तय किया था। मोर्चा समर्थकों के उपद्रव से डरकर सरकारी अधिकारी सरकारी वाहनों को छोड़कर निजी टैक्सियों से यात्रा कर रहे हैं। मोर्चा नेताओं ने पहले से ही अपनी गाड़ियों पर जी एल ( गोरखालैंड ) लिखा रखा था। अब निजी टैक्सियों के भी नंबर भी बदले जा रहे हैं। पहाडी क्षेत्रों में डब्ल्यू बी ( वेस्ट बंगाल ) लिखी गाड़ियों से जुरमाना वसूला जा रहा रहा है और नंबर प्लेटों पर कालिख पोता जा रहा है। ३० रुपये पंजीकरण शुल्क में नंबर भी बदले जा रहे हैं। नंबर बदलवाने को लेकर मोर्चा चेतावनी देता है की आगे पहाडियों में दिक्कत आ सकती है। २६ अगस्त को १०० से अधिक गाड़ियों के नंबर प्लेटों पर कालिख पोती गई।<br /><span class=""><span class=""> मोर्चा</span> </span>अध्यक्ष गुरांग कहते हैं कि नंबर प्लेट बदलने का लोग समर्थन कर रहे हैं और कालिख में मोर्चा का हाथ नही है, क्योंकि ऐसा आदेश नही दिया गया। जबकि प्रचार सचिव विनय तामांग का कहना है कि यह जिम्मा परिवहन समिति को सौंपा गया था। शायद उसके लोगों ने ऐसा किया हो।<br /><span class=""> गुरांग</span> का दावा है कि यह निर्देश अलग राज्य के प्रति लगाव और इलाके में एकरूपता पैदा करने के लिए दिए गए हैं। वे इसे असंवैधानिक नही मानते और तर्क देते हैं कि अगर यह असंवैधानिक होता तो क्या सरकार चुपचाप बैठी रहती?<br /><span class=""> अभी</span> ताजा फरमान के मुताबिक अगले पर्यटन सीजन में पारंपरिक गोरखा ड्रेस पहननी है। </div><div><span class=""> घिसिंग</span> कि पत्नी की मृत्यु के बाद पहाडियों में उनके अन्तिम संस्कार की भी इजाजत मोर्चा ने नही दी थी। राज्य सरकार शान्ति बहाली की दलील देकर मोर्चा की सारी सही-ग़लत बातें मानती रही है, जिससे उनका हौसला बढ़ा हुआ है। सरकार भी टाटा-ममता विवाद में उलझी हुई है और इस विकराल राक्षस का रूप धारण करती समस्या की ओर ध्यान नही दे रही है। फलस्वरूप मोर्चा ने बंगाल में एक सामानांतर सत्ता की स्थापना कर ली है। सरकार को चाहिए कि इसका हल बातचीत से निकला जाय और क़ानून तोड़ने वालों को दण्डित किया जाय। साथ ही सरकार को यह संकेत देना चाहिए कि वार्ता के दौरान मोर्चा कि ऐसी हरकतें प्रतिकूल प्रभाव डालेंगी। </div><div> </div><div>चित्र साभार :- गूगल</div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-20084317070627128302008-08-28T13:32:00.000-07:002008-08-31T03:26:21.465-07:00आरक्षण बढायेंगे, देश को मिटायेंगे.....<span class=""> आरक्षण</span> को लेकर केन्द्र सरकार और आईआईटी संस्थान दोनों आमने-सामने आ गए हैं। इस मुद्दे को लेकर दोनों में टकराव अवश्याम्भवी दिख रहा है। दोनों की अपनी सोंच है और दोनों के अपने लाभ जुड़े हैं। अपने इसी लाभ को देखते हुए कोई भी पीछे हटने को तैयार नही है। एक तरफ़ हैं केन्द्र सरकार है तो दूसरी ओर उच्च संस्थान, एक आरक्षण के पक्ष में है तो दूसरा विरोध में, एक के लिए राजनैतिक हित अहम् हैं तो दूसरे के लिए राष्ट्रहित ओर एक पक्ष अपना वोट बैंक देख रहा है तो दूसरा संस्थान की गुणवत्ता का हित. इन्ही कारणों से सरकार ओर संस्थान आमने-सामने आ गए हैं।<br /><br />इस टकराव की शुरुवात तब हुई जब आईआईटी निदेशकों को केन्द्र सरकार ने एक निर्देश जारी किया और कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग के शिक्षकों कि भर्ती में ४९।५% आरक्षण सुनिश्चित किया जाय। वहीं साथ ही साथ आईआईटी- जेईई परीक्षा में शामिल होने के लिए तय मानक १२वीं की परीक्षा में ६०% अंक को घटाकर ५०% करने का निर्देश दिया है।<br /><br />जबकि ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड मौजूदा ६०% को बढाकर ८५% करने का विचार कर रहा है। २४ अगस्त को खड़कपुर में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई।<br /><br />आईआईटी गुवाहाटी केन्द्र के निदेशक गौतम बर्मन ने जोरदार तर्कों के साथ इसका विरोध किया है। उन्होंने <strong>१९७२ में केन्द्र सरकार द्वारा जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि अन्तरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और रक्षा संस्थानों में आरक्षण का कोई प्रावधान नही है। लिहाजा राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को भी इसमे शामिल करना चाहिए। </strong><br /><br /><span class=""> बर्मन</span> जी कि बात पूरी तरह जायज है कि आप वोट की राजनीति करो, सबसे पहले अपना हित देखो लेकिन कम से कम राष्ट्रीय महत्त्व और राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों को अनदेखा तो न करो. क्योंकि यह चीजें राष्ट्र का अहित करती हैं और आने वाली पीढियों के रास्ते को बाधित ही नही करेंगी बल्कि पूरी तरह से उनके विकास के रास्तों को बंद कर देंगी. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने आरक्षण की फसल काटकर देख लिया लेकिन उन्हें हासिल क्या हुआ? आज वे कहाँ हैं? इतिहास में वे किसलिए याद किए जायेंगे? इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढने मात्र से ही पता चल जाएगा कि आरक्षण से हित हो रहा है या अहित।<br /> <br /><span class=""> यह </span>वही नेता हैं जो चाहते हैं कि सभी जगह आरक्षण हो जाए। चाहे वो एम्स हो या फ़िर आईआईटी या आईआईएम जैसे उच्च संसथान। इनका बस चले तो सेना को भी पूरी तरह आरक्षित कर दें। चूँकि <strong>अपना कुछ जा नही रहा है तो दूसरे कि जेब से देने में क्या जाता है?</strong> सारे नेता यही सोंच रखते हैं। जब यह बीमार पड़ते है तो अपना इलाज भारत में करना भी मुनासिब नही समझते हैं। और इसके लिए इन्हे फुर्र से विदेश उड़ जाना ज्यादा अच्छा लगता है। ऐसे हैं दोहरे चरित्र वाले नेता जो अपने देश की बागडोर अपने हाथ में लिए है। अब आप ख़ुद सोंचिये कि इन परिस्तिथियों में ये अपने देश को रसातल में पहुँचा कर ही दम लेंगे। इनका एकमात्र ध्येय आरक्षण बढाकर देश को मिटाना है। ऐसे नेताओं का नारा है कि- <strong>आरक्षण बढायेंगे, देश को मिटायेंगे। </strong>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-38288237904981575742008-08-28T08:37:00.000-07:002008-08-28T10:19:41.812-07:00धर्मान्तरण का खतरनाक खेल<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyQm_ufFwXHcsN-fiaw9r8DzCrGqZdpKsblCCIPqhuPdk6dvPKr7TrzDUrKPzpe7WjTtEh-Xjjs1pl9WkNFoiuzZ7AQtMsbgNX6SqzqlYcoj2YY1izqCSy6KtVyOJayzOi1uWq7E6QnbM/s1600-h/kandh2.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5239618609633396530" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyQm_ufFwXHcsN-fiaw9r8DzCrGqZdpKsblCCIPqhuPdk6dvPKr7TrzDUrKPzpe7WjTtEh-Xjjs1pl9WkNFoiuzZ7AQtMsbgNX6SqzqlYcoj2YY1izqCSy6KtVyOJayzOi1uWq7E6QnbM/s320/kandh2.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEga5dmU9E-2kL8QG8lQfw9bwL0ASoXfTRkDskU-5TTMNsRKRRv-NQlH3XUlkcQyyYzJ3XUk-4FK4YAUovWKXSnpNf3ghMGC9-eEMYy9b8TT77W7OyL7mk2XligCBpIWmjjyf7RDCOn65lE/s1600-h/kandhmaal.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5239618614738602882" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEga5dmU9E-2kL8QG8lQfw9bwL0ASoXfTRkDskU-5TTMNsRKRRv-NQlH3XUlkcQyyYzJ3XUk-4FK4YAUovWKXSnpNf3ghMGC9-eEMYy9b8TT77W7OyL7mk2XligCBpIWmjjyf7RDCOn65lE/s320/kandhmaal.jpg" border="0" /></a><br /><div></div><br /><p>उडीसा में स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या के बाद २३ अगस्त से ही हिंसा शुरू हो गई थी। विहिप द्वारा २५ अगस्त को बंद के आह्वान के बाद ईसाइयों के खिलाफ जम कर हिंसा हुई और कई गिरजाघरों को आग भी लगा दी गई। २३ को ही कंधमाल और गजपति जिलों में ११ लोग मारे जा चुके हैं। प्रशासन ने स्तिथि को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया था। इसके बावजूद हिंसा थमने का नाम नही ले रही है। अतः दंगाइयों को देखते ही गोली मरने के आदेश दे दिए गए हैं। </p><br /><p>स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में महत्वपूर्ण सदस्य थे। कई वर्षों से धर्मान्तरण रोकने की मुहिम में जुटे थे। उनके इन कार्यों को लेकर कई संगठन नाराज थे। इससे पूर्व भी इन पर कई हमले कराये गए थे लेकिन स्वामी जी हर बार बच गए। इस बार भाग्य ने साथ नही दिया और काल के ग्रास बन गए। </p><br /><p>स्तिथि इतनी न बिगड़ती अगर इस हत्या पर राजनीति न होती। राजनीति के चलते ही हत्या का दोष माओवादियों पर मढा जाने लगा। जिससे हिंसा को बढावा मिला। अगर उचित ढंग से जांच करायी जाती और जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ने का प्रयास किया जाता तो शायद स्थिति इतनी न बिगड़ती। </p><br /><p>१९७१ की जनगणना में उडीसा में मात्र ६% ही इसाई थे और २००१ की जनगणना में ये बढकर २७% हो गए। यहाँ की तीन-चौथाई जनसंख्या आज भी गरीबी रेखा से नीचे है। इसी का फायदा उठा कर कई मिशनरियां धर्मान्तरण के कार्यों में जोर शोर से संलग्न हैं। इसकी गवाही यह जनगणना के आंकड़े देते हैं। उडीसा में आज से ४१ वर्ष पूर्व १९६७ में धार्मिक स्वतंत्रता क़ानून बनाया गया था। जो अभी लागू नही है। जबकि यहाँ पिछले १० वर्षों से नवीन पटनायक के नेतृत्व बीजू जनता दल और भाजपा की सरकार है। उडीसा विधानसभा की १४७ सीटों में से ६३ सीटों के साथ बीजू जनता दल सबसे बड़ी पार्टी के रूप में शासन में है और ३३ सीटों के साथ भाजपा सहयोगी है। साथ में ८ निर्दलीय सरकार को समर्थन दे रहे हैं। </p><br /><p>भाजपा का एक प्रतिनधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला है और अपनी मांग में हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने, धार्मिक स्वतंत्रता क़ानून लागू करने और गौहत्या क़ानून दृढ़ता से लागू करने की मांग की है। वहीँ उडीसा उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार से हिंसा के बाद प्रभावित क्षेत्र की स्तिथि पर रिपोर्ट कल तक दायर करने को कहा है। </p><br /><p>यहाँ पर ईसाई संगठनों और हिन्दू संगठनों के बीच धर्मांतरणों को लेकर विवाद और हिंसा कोई नई बात नही है। पिछले वर्ष २५ दिसम्बर को विहिप द्वारा बंद के दौरान कई चर्चों में तोड़-फोड़ की गई थी। जिसके परिणामस्वरुप २७ दिसम्बर को ब्राम्हणीगाँव पर हथियारबंद ईसाइयों ने हमला किया था। जिसमे एक व्यक्ति मारा गया था और ७० घर जला दिए गए थे। </p><br /><p>इन स्तिथियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है की सरकार ने अतीत से कोई सबक नही लिया जिसके कारण आज यह विकट हालत पैदा हुए हैं। अभी भी समय है कि सरकार समय रहते चेत जाए और विवाद कि प्रमुख जड़ गरीबी और धर्मान्तरण का उचित समाधान ढूंढ कर उसे कडाई से लागू करे। </p><br /><p></p><br /><p></p>चित्र साभार:- दा हिन्दू और गूगल<br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p><br /><p></p>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-52160878426263623062008-08-28T03:04:00.000-07:002008-08-28T04:20:52.736-07:00कश्मीर का श्राइन बोर्ड और महाराष्ट्र का साइन बोर्ड<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9fEjXSu1Bw-LL7oOSD0WEPsGZKpm91A_UqNy_5H-rbhyOh-iiKOlpDlgRYHfP4pZWyGZWHOVrAP8d8-BTChyphenhyphenUxXdG4EOSCCe3lh0rRhf2yVBw00mG4sR8oxlW-6a1aRsNLSY6-0VV2g8/s1600-h/raj.bmp"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5239526656920149042" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9fEjXSu1Bw-LL7oOSD0WEPsGZKpm91A_UqNy_5H-rbhyOh-iiKOlpDlgRYHfP4pZWyGZWHOVrAP8d8-BTChyphenhyphenUxXdG4EOSCCe3lh0rRhf2yVBw00mG4sR8oxlW-6a1aRsNLSY6-0VV2g8/s320/raj.bmp" border="0" /></a><br /><div>कश्मीर के श्राइन बोर्ड से लगी आग अभी बुझ भी नही पाई है, और मनसे पार्टी के अध्यक्ष राज ठाकरे महाराष्ट्र में फ़िर से बवाल फैलाना चाहते हैं। इसके लिए वो सहारा ले हैं साइन बोर्ड का। </div><br /><div>मराठी में साइन बोर्ड के कैम्पेन को आगे बढाते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सभी साइन बोर्ड को मराठी में करने कि समय सीमा आज २८ अगस्त को समाप्त हो रही है। यदि समय सीमा समाप्ति से पूर्व सभी दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साइन बोर्ड मराठी में नही बदले गए तो इसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ सकता है। साथ ही पुलिस से अपील भी कर रहे हैं कि मनसे कार्यकर्ताओं के साथ नरमी बरती जाय। इसके लिए उन्होंने मुंबई पुलिस को पत्र लिखा है। </div><br /><div>मगर मुंबई पुलिस भी क़ानून हाथ में लेने वालों से सख्ती से निपटने के लिए कमर कस चुकी है। </div><br /><div>लगभग २ से ३ महीने ख़बरों से गायब रहने के बाद, फ़िर से ख़बर में बने रहने के लिए राज स्टंट शुरू करने जा रहे हैं। नफ़रत की आग फैला कर अपने लिए राजनैतिक जमीन तैयार करने की उनकी इस कोशिश पर लगाम नही लगाई गई तो ऐसे ही चंद कदम महाराष्ट्र को अंधेरे में धकेल देंगे। <strong>वैसे ठाकरे परिवार का यह इतिहास रहा है कि इसने अपनी राजनीति कि शुरुवात "आग-राग" गाकर ही की है. उसी प्रथा और परम्परा को राज बुलंदी देने की कोशिश कर रहे हैं। </strong></div><br /><div>राज की यह धमकी ही शर्मनाक है ऊपर से पुलिस से मनसे कार्यकर्ताओं के साथ नरमी बरतने की अपील और भी ज्यादा बेहूदगी भरा है। जब मनसे कार्यकर्ता मुंबई में तोड़-फोड़ करते हैं और आम नागरिकों के साथ मार-पीट करते हैं तब उन्हें रहम नजर नही आता। अब वो किस मुंह से अपने कार्यकर्ताओं के साथ नरमी की अपील कर रहे हैं? ऐसे लोगों के साथ कतई नरमी नही बरतनी चाहिए। </div><br /><div>बल्कि <strong>बवाल फैलाने, भाषाई आधार पर बाँटने कि कोशिश और राष्ट्र को खंडित करने का आरोप में राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए और कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। </strong></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-18040934017908081572008-08-26T04:50:00.000-07:002008-08-26T07:10:28.641-07:00चाय की ठेले पर- कश्मीर समस्या का हल<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6GJea25jTOsQd3QGUJXPTNAyKd1VOk4k-2FK9dGFOO6ksghjkJgFiZixVvqSaA4TfYW7X_-uEMUA5roI7E4lLQ3rbjrURFa6BZCgfdwOtBRdeFF79jKznrm6SMHabEe-EgHz1TwyiWc0/s1600-h/thela"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5238827825379853618" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6GJea25jTOsQd3QGUJXPTNAyKd1VOk4k-2FK9dGFOO6ksghjkJgFiZixVvqSaA4TfYW7X_-uEMUA5roI7E4lLQ3rbjrURFa6BZCgfdwOtBRdeFF79jKznrm6SMHabEe-EgHz1TwyiWc0/s320/thela" border="0" /></a><br /><div>काम के बोझ से काफी थकान लग जाने के कारण मैंने सोंचा कि चलो चाय पी कर आते हैं। चाय का आर्डर देने के बाद मैं जा कर एक बेंच पर बैठ गया और चाय का इंतजार करने लगा। मेरी बेंच व सामने की एक अन्य बेंच पर बैठे कुछ लोग चाय और सिगरेट के साथ अमरनाथ, श्राइन बोर्ड और कश्मीर समस्या पर गरमागरम बहस कर रहे थे। मुझे नही मालूम था कि उनकी क्वालीफिकेशन क्या है, लेकिन बहस काफी मजेदार लग रही थी।</div><br /><div>घाटीवासियों की पाकिस्तानपरस्ती से वे लोग काफी नाखुश लग रहे थे। १५ अगस्त एवं उससे पूर्व व बाद की घटनाओं में जम्मू की घटना को तर्कपूर्ण ढंग से जायज मान रहे थे। आजादी से लेकर अब तक लद्दाख और जम्मू के साथ हो रहे भेद-भाव को इसका कारण मान रहे थे। वहीं कश्मीर की घटनाओं का कारण सरकार की ग़लत नीतियों, घाटीवासियों को दी जाने वाली सुविधाओं और छूट को मान रहे थे। </div><br /><div>मेरी एक चाय ख़त्म हो चुकी थी।</div><br /><div>उन लोगों की पूरी बहस सुनने के उद्देश्य से मैंने एक और चाय का आर्डर दिया। साथ ही एक सिगरेट मैंने भी सुलगा ली। कारण यह था कि मैं जानना चाहता था कि देश के ज्वलंत मुद्दों पर आम लोग क्या सोंचते हैं? तब तक उनका एक और साथी आ गया। उन्होंने उसके साथ-साथ अपने लिए भी चाय का आर्डर दिया। उस आगंतुक मित्र ने पूछा कि भाई क्या चर्चा चल रही है? उनमे से एक ने जबाब दिया वही पुराना जे एंड के। फ़िर उसने पूछा कि कोई हल निकला या नही? जबाब आया नही, अभी तो समस्या पर ही चर्चा हो रही है। तो उसने कहा कि ऐसा तो सभी करते हैं। मुद्दों पर बहस करते हैं। लेकिन प्रश्न का उत्तर नही मिलता है। सार्थक बहस तो तभी है जब उसका हल निकले। सभी ने कहा तुम्ही हल निकालों। उसने कहा कि पहले समस्या बताओ फ़िर हल खोजेंगे। एक ने बताया कि इस समय जे एंड के में चारों ओर आग जल रही है। इस आग में पेट्रोल का काम कश्मीर कि राष्ट्रविद्रोही गतिविधियाँ कर रही हैं। इस मामले में सरकार पंगुता कि स्तिथि में पहुँच गई है। <strong>क्या कश्मीर कि इन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को काबू में करने का कोई उपाय है? </strong></div><br /><div>उसने कहा उपाय तो है लेकिन <strong>इसके जरूरी है दृढ़-इच्छाशक्ति ओर स्वहित को छोड़कर राष्ट्रहित देखना।</strong> सभी ने बात तो सही है लेकिन हल क्या है? उसने कहा कि पहले एक सिगरेट मंगाओ फ़िर बताता हूँ। अब मेरी उत्कंठा और बढ़ गई थी कि आख़िर हल क्या है? एक ने सभी के लिए सिगरेट का आर्डर दिया। मैंने भी अपने लिए एक सिगरेट का आर्डर दिया। सभी ने सिगरेट जलने के बाद कहा अब हल तो बताओ।</div><br /><div>उसने कहा कि इसके हल के लिए <strong>सबसे ज्यादा जरूरी है कश्मीर में सुप्रीम पॉवर में होना।</strong> मान लो कि मैं राष्ट्रपति हूँ तो </div><br /><div>सबसे <strong><span style="color:#990000;">पहला काम</span></strong> यह होगा कि- <strong>जहाँ-जहाँ अलगाववादी ओर राष्ट्रद्रोही फैले हैं, ज्यादातर घाटी में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लेकर जम्मू तक पूरे क्षेत्र को मिलिट्री द्वारा घिरवा लूँगा। </strong></div><br /><div><strong><span style="color:#990000;">दूसरा कदम-</span> वहां पर मीडिया ओर मानवाधिकार को प्रतिबंधित कर दूँगा। </strong></div><br /><div><strong>फ़िर<span style="color:#990000;"> तीसरा कदम यह होगा कि-</span> राष्ट्रद्रोहियों ओर अलगाववादियों को चिन्हित करके उन्हें कैद कर लूँगा या फ़िर समूल नष्ट कर दूँगा। </strong></div><br /><div><strong>इसके बाद भी कश्मीर को मिलिट्री के अन्दर में कम से कम साल भर रखूँगा। तब तक धारा-३७० समाप्त कर जम्मू और लद्दाख में शरणार्थियों को बसा दूँगा। फ़िर कश्मीर से मिलिट्री हटा कर बार्डर पर लगा दूँगा ओर घाटी में भी शरणार्थियों को बसा दूँगा।</strong> सभी ने सुझाये गए हल की सराहना की। </div><br /><div>किंतु मैं अपनी जिज्ञासा को रोक नही पाया और पूछ ही बैठा कि तुम्हारे इन क़दमों पर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां व अन्य राष्ट्र हल्ला नही मचाएंगे? तो उसने जबाब दिया कि वे सिर्फ़ हल्ला ही मचाएंगे। क्योंकि यह <strong>मेरे राष्ट्र का अंदरूनी मामला है और इसमे कोई भी हस्तक्षेप हमारी संप्रभुता और अखंडता पर हमला <span class="">माना </span>जाएगा। हमले का जबाब भी हमले के रूप में दिया जाएगा।</strong> और इस नाभकीय युग में कोई भी नाभिकीय अस्त्रों से लैस राष्ट्र से लड़ना नही चाहेगा। <strong>इसी फार्मूले को अपना कर चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया और किसी के बोलने पर उसे धमका देता है। अभी रूस ने भी अशेतिया पर यही तो किया है। </strong>लेकिन एक बार फ़िर से कहूँगा कि सबसे ज्यादा जरूरी है दृढ़-इच्छाशक्ति का होना। सभी ने कहा कि अगले राष्ट्रपति तुम बन जाओ। मैंने कहा- आमीन। यहीं पर सिगरेट के साथ-साथ बहस भी समाप्त हो गई। सभी अपने-अपने गंतव्य की ओर चल दिए। </div><br /><div><strong>मैं चलते-चलते यह सोंच रहा था कि जिस समस्या का हल इतने दिनों से बड़े-बड़े मीटिंगों और वीआईपी कमरों की बैठकों में नही खोजा जा सका। उसका हल मिला एक चाय के ठेले पर। काश वह व्यक्ति राष्ट्रपति हो जाता ओर कश्मीर समस्या सुलझ जाती। लेकिन यह काश, काश रह जाता है......!!!!!!!!........... </strong></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-66891693083305453882008-08-22T01:05:00.000-07:002008-08-22T02:22:08.263-07:00एक और प्रहार......<span style="color:#000066;">भोपाल में मीडिया युद्ध अभी ख़त्म नही हुआ है। वह अभी भी चल रहा है। अभी २-३ दिन पहले दैनिक</span> <span style="color:#660000;"><strong>भास्कर ने ख़बर </strong><span class=""><strong>छापी</strong> </span>थी <span class="">कि- </span>आतंकी संगठन सिमी के मुखिया सफ़दर नागौरी को गुजरात पुलिस ने गुजरात सीरियल बम विस्फोटों के सिलसिले में पूंछ-तांछ के लिए रात में गुपचुप ढंग से मध्य प्रदेश के जेल से निकाल कर किसी अज्ञात स्थान पर ले गई है।</span><br /><span style="color:#006600;">इसी के ऊपर <strong>पत्रिका ने लिखा</strong> कि- भास्कर ने दी फ़िर झूंठी ख़बर। अभी भी नागौरी जेल में है। जेल प्रशासन ने नागौरी के जेल में ही होने की पुष्टि की।</span><br /><span style="color:#000066;">यह ख़बर पत्रिका ने प्रथम पृष्ट पर छपी थी। इसके पहले भी भास्कर के रिनी बाघिन के मरने की ख़बर पर पत्रिका ने तीखा प्रहार किया था। २७,२८ और २९ मई २००८ के अंकों में आप देख सकते हैं। इससे जुड़ी ख़बर आप इसी ब्लॉग पर मई वाले खंड में देख सकते हैं। यह इनकी प्रतिद्वंदिता का ही परिणाम है जो कि राजस्थान से शुरू हुआ था और अब मध्य प्रदेश में पहुँच चुका है। देखिये अभी आगे-आगे होता है क्या????????</span>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-15786581359823507342008-08-21T08:24:00.000-07:002008-08-21T10:05:12.852-07:00लुमडिंग से बदरपुर तक रेल सेवा बंद करने की मांग......<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5r0fh0KqVOgxdscLHtwmLHJzyNecFgEeo8jBoFyai7P5LnhH0a7QJ0UzEnTbv9D9Rx8h3p-WOOKyjTVjBdKQP8k75LeuhVXVqNPFuSoEOuhExHOPwXbdR-AsKA9jeB3tSJNsNQKTHBqY/s1600-h/CABF8UEN.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5237017964205135458" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5r0fh0KqVOgxdscLHtwmLHJzyNecFgEeo8jBoFyai7P5LnhH0a7QJ0UzEnTbv9D9Rx8h3p-WOOKyjTVjBdKQP8k75LeuhVXVqNPFuSoEOuhExHOPwXbdR-AsKA9jeB3tSJNsNQKTHBqY/s320/CABF8UEN.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyhXQfZyYYgzHIIVVRl11nci-h85e2HYtKduar4OeFOFvryQ8oN6e9etFXbe4ZYzOXBn3HgZywxWYGaYVW5irmNVjH3h2o9Y0873Ro6hdpWxcqg2u2YM3Th9oDD5gVvbnxUDp_5RZJKJM/s1600-h/CASLAZWD.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5237017966638282578" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyhXQfZyYYgzHIIVVRl11nci-h85e2HYtKduar4OeFOFvryQ8oN6e9etFXbe4ZYzOXBn3HgZywxWYGaYVW5irmNVjH3h2o9Y0873Ro6hdpWxcqg2u2YM3Th9oDD5gVvbnxUDp_5RZJKJM/s320/CASLAZWD.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEidVxx1H9flXbclIUltzItYIdjQiV42O9jEKZozTfrn1L398Wkv8Pjap7mhbaaSys8Cvw_6QEg_VSJAlPD0BPtdLeHw_plP8NWeS2K6e6xO0TJ-RZN5M5duBjaSASkYrzlwiPRnxPwoG5M/s1600-h/rail.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5237017968653123618" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEidVxx1H9flXbclIUltzItYIdjQiV42O9jEKZozTfrn1L398Wkv8Pjap7mhbaaSys8Cvw_6QEg_VSJAlPD0BPtdLeHw_plP8NWeS2K6e6xO0TJ-RZN5M5duBjaSASkYrzlwiPRnxPwoG5M/s320/rail.jpg" border="0" /></a><br /><div><span style="color:#000099;"></span></div><br /><p><span style="color:#000099;">नार्थ-ईस्ट फ्रांटियर रेलवे ने अवैध बंगलादेशी नागरिकों, उल्फा आतंकियों और अन्य देशद्रोहियों से सुरक्षा न मुहैया करा सकने की वजह से <strong>लुमडिंग से बदरपुर तक रेल सेवा बंद</strong> करने की बात कही है। जबकि <strong>चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक रेलवे लाइन बिछा दी</strong> है। यह है महाशक्ति बन रहे देश की सुरक्षा की असलियत। </span></p><br /><p><span style="color:#000099;">केंद्रीय गृह-मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि सिमी पर से प्रतिबन्ध न हटाया जाय। क्योंकि पूरे देश में उस पर<strong> ४०९ मुक़दमे दर्ज</strong> हैं और उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। यह वही <strong>सिमी है जो लश्कर-ऐ-तैय्यबा,जैश-ऐ-मोहम्मद,हूजी और इंडियन-मुजाहिद्दीन के लिए आउट-सोर्सिंग कर रहा है। संभावना तो यह भी व्यक्त कि जा रही है कि प्रतिबंधित होने पर सिमी ही इंडियन-मुजाहिद्दीन के छद्म नाम से आतंकी कार्यवाहियों को अंजाम दे रहा है।</strong> </span></p><br /><p><span style="color:#000099;">जबकि हमारे रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, राम विलास पासवान और मुलायम सिंह यादव जैसे कथित समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष नेता सिमी जैसे घातक,आतंकी और राष्ट्रद्रोही संगठन को क्लीन चिट दे रहे हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं। </span></p><br /><p><span style="color:#000099;">जब रेल मंत्री ही आतंकियों के पक्ष में बोलता नजर आ रहा है तो वह अपने विभाग को सुरक्षा कहाँ से दिला पायेगा?ऐसा विहंगम दृश्य कहाँ देखने को मिलेगा कि सरकार के अधीन गृह-मंत्रालय जहाँ आतंकी संगठन पर प्रतिबन्ध की मांग करता <span class="">है,</span> वहीँ उसी सरकार में सम्मिलित कुछ मंत्री उस संगठन को क्लीन चिट दे रहे हैं। यही तो है असली लोकतंत्र का नमूना। क्या इसी के दम पर हम चीन को पिछाड़कर महाशक्ति बनेगे? </span></p><br /><p><span style="color:#000099;"><strong>फीलगुड की तरह ही इस बार भी देशवासियों को महाशक्ति का झुनझुना पकड़ा दिया गया है। जिसमे हम आत्ममुग्ध हैं।</strong> इस डर से हम सरकार पर उंगली नही उठाएंगे और उसके अच्छे-बुरे कार्यों का आँख मूँद कर अनुमोदन करेंगे कि कहीं यह झुनझुना हमारे हाथ से निकलकर चीन के हाथ में न चला जाए।वास्तविकता के धरातल पर देखें तो स्वयं पता लग जाता है कि इस दौड़ में चीन हमसे काफी आगे है। हम तो इस दौड़ में थे ही नही। <strong>क्या ये नेता राष्ट्र कि अस्मिता और सुरक्षा को दांव पर लगा कर रोटी खाना चाहते हैं? क्या इन्हे रोकना और सबक सिखाना हमारी जिम्मेदारी नही बनती है? </strong>जब सरकार अपने मंत्रियों पर अंकुश नही लगा सकती तो जनता को ही इसके लिए आगे आना होगा। </span></p>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-12518124233853079602008-08-20T04:25:00.000-07:002008-08-20T11:01:13.304-07:00श्राइन बोर्ड तो बहाना है, कहीं और निशाना है.<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiY0sQNpOHNNJvrT6AaPVQhLG7oywbUO-PxDlvV8H92SddyhByNuvlseAYrHp18FezWi79qBqDQS8ZqAg5i-yFYXWJC4msxXZ1yMIucrkCZp-xAZ24FQEOuenXSlY15lvmcUtciMGiqJ0c/s1600-h/jnk.bmp"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236571366193451010" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiY0sQNpOHNNJvrT6AaPVQhLG7oywbUO-PxDlvV8H92SddyhByNuvlseAYrHp18FezWi79qBqDQS8ZqAg5i-yFYXWJC4msxXZ1yMIucrkCZp-xAZ24FQEOuenXSlY15lvmcUtciMGiqJ0c/s320/jnk.bmp" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj-wQZYouuHpr0oqwljq7vasNsyhsRVDzNrz0RY44Ht_ddPkyfBOCXn3ObCf4Aqx3kU_gDGgS4nmG5FgpzkcdoJ4tNMt-LGd4589nbbOjNKqedk4RQRlTm5lGvLYSLwagC6fjXQtlNQeGI/s1600-h/610x.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236571367810813858" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj-wQZYouuHpr0oqwljq7vasNsyhsRVDzNrz0RY44Ht_ddPkyfBOCXn3ObCf4Aqx3kU_gDGgS4nmG5FgpzkcdoJ4tNMt-LGd4589nbbOjNKqedk4RQRlTm5lGvLYSLwagC6fjXQtlNQeGI/s320/610x.jpg" border="0" /></a> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqfjSwKMajjhq_19aRpIFw-dORE8JnGx9sBFOexzvEt9dH_V5QqBYwupQG5l_dAMMEUejIBMl7gFMoz28cb2W1SbJxDzuIpwDEwZs2JNPG0mnkiYFUah44SbgW_AcPLfsJ3YCp59_btpg/s1600-h/_42956479_jammu_ap416.jpg"><em><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236571368769891074" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhqfjSwKMajjhq_19aRpIFw-dORE8JnGx9sBFOexzvEt9dH_V5QqBYwupQG5l_dAMMEUejIBMl7gFMoz28cb2W1SbJxDzuIpwDEwZs2JNPG0mnkiYFUah44SbgW_AcPLfsJ3YCp59_btpg/s320/_42956479_jammu_ap416.jpg" border="0" /></em></a><em> <span style="color:#000099;"><strong><span class="">५०</span> दिन से <span style="color:#ff6600;"><span style="color:#ff0000;">जलता</span> </span>जम्मू और कश्मीर.........</strong></span></em><br /><span style="color:#009900;"><strong><em>रोटी सेंकते अलगाववादी और विदेशी ताकतें.........</em></strong></span><br /><span style="color:#000099;"><strong><em>जूठन के लालच में खड़े राजनैतिक दल और नेता.........</em></strong></span><br /><span style="color:#ff9900;"><strong><em>इनके बीच पिसते राज्य के आम <span class="">नागरिक..........</span></em></strong></span><br /><span style="color:#000099;"><strong><em>मूक दर्शक बनी देश की जनता........</em> </strong></span><br /><span style="color:#000000;"><span class="">यह</span> भयावह तस्वीर है उस देश की जो इस <strong>मिथ्याभिमान में झूम रहा है की वह महाशक्ति</strong> बनने की ओर अग्रसर है।</span><br /><span class=""></span><span style="color:#990000;">बंद के ५० दिन पूरे होने पर नेताओं के तेवर ढीले पड़ गए हैं लेकिन वहां की जनता में अभी भी जोश बरक़रार है। २ लाख महिलाओं की गिरफ्तारी पर उन्हें एक १५ साल की किशोरी संबोधित करते हुए कह रही थी कि हम अपना हक़ और जमीन दोनों वापस ले कर रहेंगे। गिरफ्तारी देने गई सभी महिलाएं अपना नाम <span class="">पार्वती,</span>पति का नाम शिवशंकर और निवासी बालटाल बता रही थीं। </span><br /><span style="color:#990000;"><span class=""> <span style="color:#009900;"> </span><span style="color:#3333ff;"><strong>जहाँ अलगाववादियों और पाकिस्तान का उद्देश्य कश्मीर को तोड़कर पाक में विलय करना है वहीँ जम्मू लगातार अपनी उपेक्षा और भेदभाव से परेशान होकर इसी बहाने आर-पार कि लडाई लड़ने के मूड में दिख रहा है। </strong>मुस्लिमों को जमीन देने पर कोई ऐतराज नही था क्योंकि यह जमीन बंजर थी और साल में ८ महीने यहाँ बर्फ जमी रहती है अतः इसका कोई ख़ास उपयोग नही था परन्तु कट्टरवादी नेताओं ने गुमराह कर भड़काया कि धीरे-धीरे हिंदूवादी ताकतें कब्जा करना चाहती हैं जिससे वे घबरा गए और बहककर उनके साथ हो गए।</span></span></span><br /><span style="color:#990000;"><span class=""> <span style="color:#009900;">अलगाववादी नेता <strong>सैयद अली शाह गिलानी खुलेआम जम्मू और कश्मीर के पाकिस्तान में विलय की मांग कर रहे हैं,वहीँ पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी मुजफ्फराबाद मार्च में उनके समर्थन में आ खड़ी हुई।</strong> आन्दोलन की कमान नेताओं के हाथ से निकलकर जनता व अलगाववादिओं के हाथ में आ गई है।</span></span></span><br /><span class="">कई पंथनिरपेक्ष पार्टियाँ तो इन्ही अलगाववादिओं के सुर में ही राग अलापना चाहती हैं और इसकी कोशिश भी करती दिख रही हैं। <strong>अरुंधती राय ने आजाद-कश्मीर की वकालत भी कर डाली</strong> लेकिन इसके विरोध में किसी ने भी बोलने की जहमत नही उठाई।</span><br /><span style="color:#990000;"><span class=""> <span style="color:#cc33cc;"> सुरक्षा एजेंसियां चिल्ला-चिल्ला कर कह रही हैं कि आन्दोलन में कई उग्रवादी शामिल हैं परन्तु सरकार इस पर ध्यान न देकर नरम रवैया अपनाए हुए है जिससे सुरक्षा बल कार्यवाही नही कर पा रहे हैं।अलगाववादियों द्वारा इसे संयुक्त राष्ट्र में ले जाने कि मांग कि जा रही है. दुबारा इसका अंतर्राष्ट्रीयकरण होते देखकर सरकार के हाथ-पैर फूल चुके हैं और वह किंकर्तव्यविमूढ है. <span style="color:#ff0000;"><strong> क्या विश्वासमत में मिले पीडीपी के एक वोट के एहसान तले संप्रग सरकार इतनी दब गई है कि उचित कार्यवाही तो दूर वह फटकार भी नही सकती है?</strong></span> सरकार के साथ सभी पार्टियाँ और नेता पूरी तरह भ्रमित नजर आ रहे हैं. </span><span style="color:#ff0000;"><strong>यही है महाशक्ति बनने का सपना?</strong></span></span></span><br /><span style="color:#990000;"><span class=""> <span style="color:#336666;"> घाटी में कट्टरपंथियों ने ४ दिन बवाल मचाया तो फ़ौरन जमीन वापस ले ली जबकि जम्मू में ५० दिन से चल रहे आन्दोलन से सरकार कि नीद नही खुल रही है. <strong>१५ अगस्त को घाटी में काला दिवस मनाया गया. तिरंगे को जलाया गया,पाकिस्तानी झंडे को लहरा के नारे लगाये गए कि <span style="color:#3366ff;">भारत तेरी मौत आए,मिल्लत आए</span>. सारा दिन मस्जिदों से लाउडस्पीकरों में चिल्लाये कि <span style="color:#3366ff;">हमको आजादी चाहिए</span>। श्रीनगर के लाल चौक पर ध्वजारोहण के बाद तिरंगा उतारकर पाकिस्तानी झंडा फहराया. </strong><span style="color:#ff0000;">क्या यह हमारी देश कि संप्रभुता का अपमान नही है? क्या यह राष्ट्रद्रोह नही है?</span> मुजफ्फराबाद मार्च में भी व्यापर मार्ग खोलने कि बू आती है. <span style="color:#ff0000;">क्या इजराइल,अमेरिका,चीन या रूस ऐसी स्तिथि में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते या फ़िर ऐसे लोगों को नेस्तोनाबूत कर देते?</span> <span style="color:#cc0000;">न कोई मीडिया होता,न कोई मानवाधिकार होता और अगर कोई दूसरा देश बोलता तो उसे भी फाड़ खाते.</span> देश चलाने वालों जरा सीखो इनसे......</span></span></span><br /><span style="color:#990000;"><span class=""><strong><span style="font-size:130%;color:#ff0000;">.जय हिंद.</span></strong> </span></span>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-24378524500793170522008-08-12T07:46:00.000-07:002008-08-12T08:50:12.819-07:00अभिनव बिंद्रा ने तोडी ओलम्पिक की निद्रा..........<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-96vAfF-O2NE3XrCL0nT6kYwvLK2h15pJgirt2qSDwrvEjXHTtkSd3RkbDUlH33bSMmxVJPWblcSlYPUrm9yCx3sQif9yqDTwc-HvkiJdaYFA74FT90DLlstkegspQSnJPHA2b9Y0M6g/s1600-h/abhinav416.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233657370209653378" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-96vAfF-O2NE3XrCL0nT6kYwvLK2h15pJgirt2qSDwrvEjXHTtkSd3RkbDUlH33bSMmxVJPWblcSlYPUrm9yCx3sQif9yqDTwc-HvkiJdaYFA74FT90DLlstkegspQSnJPHA2b9Y0M6g/s320/abhinav416.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEc2MsbGd6AKXaoR0gH7gwZFGM47mJXwkyqDK9JmKVh19gvQ32wHkqUT9iPhTJ2KnVCmrgPCAn7OrLr-S8xrOMFSRFwzJLaRjmhIHEodVTmHK01ZI0888kuvyk9wxPJMKK50_hcIg68MI/s1600-h/Abhinav-Bindra.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233657373017625746" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEc2MsbGd6AKXaoR0gH7gwZFGM47mJXwkyqDK9JmKVh19gvQ32wHkqUT9iPhTJ2KnVCmrgPCAn7OrLr-S8xrOMFSRFwzJLaRjmhIHEodVTmHK01ZI0888kuvyk9wxPJMKK50_hcIg68MI/s320/Abhinav-Bindra.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-EEpBVI6cwQ5NgJMCV0vn5Ltihyk-8GypVsHpypirLg8AhgphGEet8ismWtawMK1eEs_S-4KnEOQuTM5SonMcn2ouN3AZunzGHjq0vtEpGaD9HE515fNXZ5JTv0s1ZCpfxOTmDASnQnw/s1600-h/ab2.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233657379489425010" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-EEpBVI6cwQ5NgJMCV0vn5Ltihyk-8GypVsHpypirLg8AhgphGEet8ismWtawMK1eEs_S-4KnEOQuTM5SonMcn2ouN3AZunzGHjq0vtEpGaD9HE515fNXZ5JTv0s1ZCpfxOTmDASnQnw/s320/ab2.jpg" border="0" /></a><br /><div><span style="color:#009900;">बीजिंग ओलंपिक में <strong><span style="color:#ff0000;">अभिनव ने ११२ वर्षों के बाद</span></strong> भारत की ओर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीत कर वह महान क्षण रच दिया जिसका सभी भारतीयों को इंतजार था। निःसंदेह यह वह क्षण है जिसे भारत हमेशा याद रखेगा। ऐसा ही इतिहास <strong><span style="color:#ff0000;">१९८३ में कपिल</span></strong> ने रचा था।</span><br /><span style="color:#cc33cc;">भारत ने अब तक <span style="color:#ff0000;">८ स्वर्ण</span> पदक जीते थे वह भी हाकी में। परन्तु इस बार हाकी में क्वालीफाई न कर पाने के कारण भारतीयों की रूचि ओलंपिक से ख़त्म हो गई थी। लेकिन अभिनव के निशाने ने आगे की उम्मीदें जगा दी हैं। १९८० के बाद मिले इस स्वर्ण ने बाकियों को भी प्रोत्साहित किया है कि वे भी अपना सर्वस्व झोंक दें।<br /></span><span style="color:#3333ff;">इस प्रदर्शन पर अभिनव पर करोड़ों कि बरसात हुई है। <span style="color:#990000;">क्या अभिनव इसमे से कुछ हिस्सा निशानेबाजी या अन्य खेलों के विकास के लिए देंगे?</span> हालाँकि उन्होंने अपनी तैयारी पर १० करोड़ खर्च किए हैं। वे सक्षम थे अतः ऐसा कर पाए। </span><span style="color:#ff0000;">क्या स्वर्ण कि राह दिखने के बाद उस पर दौड़ने में भी मदद करेंगे?<br /></span><span style="color:#006600;"><span style="color:#cc0000;"><span style="color:#006600;">वहीँ बिंद्रा पर करोड़ों कि बरसात करने वाले राज्य और</span> <span style="color:#ff0000;">सरकारों ने क्या यह तय कर रखा है कि जीतने पर ही पैसे लुटाएंगे, जीतने कि तैयारी करने पर नहीं? क्रिकेट को छोड़कर अन्य खिलाड़ी संसाधनों और कोच का रोना रोते हैं,</span></span></span><span style="color:#ff0000;"> क्या उस दिशा में भी सरकारें समुचित कदम उठाएंगी?<br /></span>यदि इन प्रश्नों को सुलझा लिया गया तो वह दिन दूर नहीं कि हम ओलंपिक के शिखर पर विराजमान होंगे।</div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-6788490770133557752008-08-11T09:23:00.000-07:002008-08-11T10:37:49.489-07:00कहाँ है सिमी का जन्मदाता????????<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZm6xCERR_Xk3bXYPcCF0QYysClILBvOrKL96hYZqPhFaCEX5EDibgPqtv1FsTWa3L8cWobVNCJImbwWGCnTgKLBImId3n7ckLFA04sbEPQkBMTIG8w6lM7IXfFAv7pvb1BUXYNrjQa4w/s1600-h/askk.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233315456514589698" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZm6xCERR_Xk3bXYPcCF0QYysClILBvOrKL96hYZqPhFaCEX5EDibgPqtv1FsTWa3L8cWobVNCJImbwWGCnTgKLBImId3n7ckLFA04sbEPQkBMTIG8w6lM7IXfFAv7pvb1BUXYNrjQa4w/s320/askk.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAQwK27mTnT7QpWgd_kh00qlt9ohPz511tiDCK04LAOzpkGdPqZuE5d54Iv4C5G2-_XK0smYYB6ug3TbXrQF2mfLHoHNQTpsKwyT9J_aOcIVTL-PhrNeUlqAhwnOA4PK9ywCkESRztE-E/s1600-h/saddam.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233315461142851154" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAQwK27mTnT7QpWgd_kh00qlt9ohPz511tiDCK04LAOzpkGdPqZuE5d54Iv4C5G2-_XK0smYYB6ug3TbXrQF2mfLHoHNQTpsKwyT9J_aOcIVTL-PhrNeUlqAhwnOA4PK9ywCkESRztE-E/s320/saddam.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgddcW-dMjQm5suPMDEIRIUBalRD0ZcNbH_7eLPwOiNtdagB7wElkHbOPBVjA6LZqyR7VPtqNA70nsJL67vTsyIq6qbdqY2tSA_EliCNmT75BORQKE1MrwWf_9zWYupvBJhplGb8-LRGjo/s1600-h/islam_italia.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233315464397583410" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgddcW-dMjQm5suPMDEIRIUBalRD0ZcNbH_7eLPwOiNtdagB7wElkHbOPBVjA6LZqyR7VPtqNA70nsJL67vTsyIq6qbdqY2tSA_EliCNmT75BORQKE1MrwWf_9zWYupvBJhplGb8-LRGjo/s320/islam_italia.jpg" border="0" /></a><br /><div><span style="color:#cc0000;">जमात-ऐ-इस्लामी के सदस्य और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दीकी ने १९७७ में सिमी(स्टूडेंट ऑफ़ इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया) की स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य भारतीय मुसलमानों को पश्चिम की मूल्यहीन संस्कृति से मुक्ति दिलाना था, परन्तु विडम्बना देखिये कि वही अहमदुल्ला अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में जनसंचार का शिक्षक है।</span> <span style="color:#006600;">इन्होने इस बात का अफ़सोस जताया कि सिमी अपने उद्देश्य से भटक गया है क्योंकि इस्लाम हिंसा कि शिक्षा नही देता।<br /></span><span style="color:#000099;">सिमी को १९९० में राम मन्दिर आन्दोलन के समय काफी विस्तार मिला। इस समय इसके आदर्श पुरूष ईरान के शिया धर्मगुरु अयातुल्ला खुमैनी थे। क्योंकि इन्होने ईरान के तानाशाह शासक रजा पहलवी को अमेरिका खदेड़ दिया था जो कि अमेरिका कि कठपुतली था।<br />सिमी अमेरिका का घोर विरोधी था क्योंकि इसकी नींव ही अमेरिका और पश्चिम विरोध पर रखी गई थी। सिमी देवबंद विचारधारा अर्थात सुन्नी होते हुए भी शिया धर्मगुरु और शिया देश का समर्थन करता था। लेकिन खुमैनी की मौत के बाद इराक-अमेरिका युद्घ में सद्दाम को हीरो के रूप में पेश किया। अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के बाद सिमी ने कई शहरों की दीवारों पर अपना मोटो लिखा- <span style="color:#cc0000;">'नो डेमोक्रेसी, नो सेक्युलरिज्म, ओनली खिलाफत'।</span> इसके लिए तर्क देते थे की कुरान में लिखा है कि मुसलमान एक दिन दुनिया पर अपना वर्चस्व कायम करेंगे।</span><br /><span style="color:#993399;">जहाँ बाबरी मस्जिद का लाभ भाजपा ने उठाया वहीँ सपा और सिमी ने भी खूब लाभ उठाया। मुलायम ने मुस्लिम वोट बैंक के खातिर इस घाव को हमेशा ताजा रखा। सिमी ने बाकायदा बाबरी मस्जिद के आंसू बहते पोस्टर बनवाए जिसमे लिखा था- या इलाही भेज दे महमूद कोई। यहाँ १७ बार सोमनाथ मन्दिर तोड़ने वाले महमूद गजनी को याद किया जा रहा था।</span><br /><span style="color:#663300;">धीरे-धीरे सिमी के सम्बन्ध आईएसआई और लश्कर-ऐ-तैयबा से हो गया। जमात-ऐ-इस्लामी ने ख़ुद को दिखाने के लिए सिमी से अलग कर लिया और विद्यार्थियों का अलग संगठन एसआईओ (स्टूडेंट ऑफ़ इस्लामिक ओर्गानैजेशन) बना लिया, जो मात्र कागजी ही है। वास्तव में सिमी, जमात-ऐ-इस्लामी कि ही हथियारबंद शाखा है।</span> </div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-46002428255079099352008-08-07T09:59:00.000-07:002008-08-07T11:27:56.595-07:00राजनीति का दलाल या राजनीति का व्यवसाई ????????<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLVYKeevc5_eXEVq9xwXDCE5uyWcjpQyNN6uMjMhzGcAK_lwVmk1e9DYdzSF1veQOnoBHHoPzpAafjK-YDBygap4kax33Vz85FgsGnzgO_IZpV6-oSO14RRMyEOTgaIwHFRQJcOKxpR5E/s1600-h/aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5231844077318045874" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLVYKeevc5_eXEVq9xwXDCE5uyWcjpQyNN6uMjMhzGcAK_lwVmk1e9DYdzSF1veQOnoBHHoPzpAafjK-YDBygap4kax33Vz85FgsGnzgO_IZpV6-oSO14RRMyEOTgaIwHFRQJcOKxpR5E/s320/aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa.jpg" border="0" /></a><br /><div><span style="color:#000099;">एक सफल व्यवसाई से सफल राजनीतिज्ञ का सफर...........</span></div><br /><div><span style="color:#990000;">एक क्षेत्रीय दल के अध्यक्ष के खास सिपासालार से केन्द्र की राजनीति की धुरी बनना.........</span></div><br /><div><span style="color:#006600;">केन्द्र की गिरती साझा सरकार को ऐन वक्त सहारा देकर बचा लेना.........</span></div><br /><div><span style="color:#cc33cc;">फिल्मी दुनिया शहंशाह से लेकर उद्योग जगत के अनिल अम्बानी तक से गहरी दोस्ती रखने के लिए मशहूर.........</span></div><br /><div><span style="color:#333333;">हमेशा चर्चा में बने रहने का गुण........</span></div><br /><div><span style="color:#6600cc;">यह सभी कलाएं इशारा करती हैं समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह की <span class="">ओर जहाँ </span>यह सारे गुण उनके सफल राजनीतिज्ञ होने पर मुहर लगते हैं, वहीँ उनके विरोधी उन्हें सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ दलाल का तमगा देते हैं। वह साथियों के लिए संकटमोचक हैं तो विरोधियों एक मुसीबत। उन्होंने अपने संबंधों का उपयोग अपनी ताकत और पहुँच बनाने के लिए किया, तो फ़िर अपनी ताकत और पहुँच से अपने संबंधियों को लाभ भी पहुँचाया है। <span style="color:#00cccc;">अब तो राजनीति ही उनका व्यवसाय बन गई है।</span> </span>आइये मंथन करते हैं कि <span style="color:#660000;">क्या कारण है कि अमर सिंह राजनीति में हर जगह अपनी गोटी फिट करने में सफल रहते है? क्या उन्होंने राजनीति में व्यवसाय को मिला दिया है?</span> <span style="color:#009900;">तो शुरू कीजिये मंथन क्योंकि मंथन है आपके विचारों का दर्पण। </span></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-40894676096468566062008-06-07T06:35:00.000-07:002008-06-07T07:17:40.545-07:00रामू और चेतन भगत का सुंदर उपहार ....<span style="color:#009900;">कल राम गोपाल वर्मा की रिलीज हुई फ़िल्म <strong>"सरकार राज"</strong> और इसके कुछ दिन पहले आया चेतन भगत का उपन्यास <strong>"थ्री मिस्टेक्स ऑफ़ माय लाइफ"</strong> इन गर्मियों का बेहतरीन तोहफा सिद्ध हुआ है।</span><br /> <span style="color:#3333ff;"> जहाँ "सरकार राज" की कहानी महाराष्ट्र मे एक बहुराष्ट्रीय बिजली उत्पादन कम्पनी 'एनरान' के आने और उसी दशक मे वहाँ उभरे और उफान पर पहुंचे एक राजनैतिक परिवार की कहानी है। इसमे यह भी दिखाया गया गया है कि नेताओं का एक मात्र उद्देश्य पैसा कमाना होता है और इसके लिए वे अपने बड़े से बड़े दुश्मन से हाथ मिलाने मे भी नही चूकते हैं। पिछली फ़िल्म "आग" से रामू कि भद्द पिटी थी उसकी भरपाई यह फ़िल्म करेगी। ऐसी आशा है। </span><br /> <span style="color:#cc33cc;"> वहीं दूसरी ओर चेतन भगत का आया नया उपन्यास "थ्री मिस्टेक्स ऑफ़ माय लाइफ" ने भी इन गर्मियों मे काफी राहत दी है। युवाओं मे इस पुस्तक का काफी क्रेज देखा जा रहा है। इसमे भारतीय युवाओं के रिस्क उठाने कि प्रकृति के विषय मे बताया गया है।इसमे तीन दोस्तों की कहानी है। जो अहमदाबाद मे क्रिकेट का सामान बेचने की दुकान खोलते हैं। यह सच्ची घटनाओं पर आधारित है ऐसा बताया जा रहा है।</span><br /><span style="color:#cc0000;"> फिलहाल जो भी हो इन दोनों ने सही समय पर सुंदर तोहफा दिया है। और लोग इसका आनंद उठा रहे हैं।</span>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-73352973343066141602008-06-03T10:01:00.000-07:002008-06-03T11:21:51.244-07:00कौन बनेगा उम्दा पत्रकार ????????<span style="color:#3333ff;">एक पुरानी कहावत है <span class="">कि <strong><span style="color:#000000;">"</span></strong></span><strong><span style="color:#000000;">प्यार और जंग मे सब-कुछ जायज है।"</span></strong> इस कहावत का वास्तिक अर्थ मैं अब समझ पाया हूँ। कहावत मे सर्वाधिक कन्फ्युजिंग शब्द है "सब-</span><span class=""><span style="color:#3333ff;">कुछ"।<strong> <span style="color:#000000;">"सब-कुछ"</span></strong> का अर्थ होता है </span><span style="color:#000000;"><strong>'लाबिंग".</strong></span> </span><br /><span class=""><span style="color:#009900;"> जंग को जीतने की बात छोडिये, सिर्फ़ जंग लड़ने की बात हो तो उसके लिए भी लाबिंग करनी पड़ती है। जैसे <strong>इराक पर हमले के पहले अमरीका को लाबिंग</strong> करनी पड़ी थी।</span> </span><br /><span class=""> <span style="color:#ffcc00;"> </span><span style="color:#996633;">यही हाल प्यार का भी है कि <strong>प्यार को पाने के लिए लाबिंग</strong> करनी पड़ती है।</span></span><br /><span class=""><span style="color:#ff0000;"><strong>आइये पहले जाने कि "लाबिंग" का अर्थ क्या है?</strong></span> </span><br /><span class=""><span style="color:#33cc00;">"लाबिंग" का अर्थ है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने पक्ष मे करना ताकि विपक्षी पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके और जीत हासिल कि जा सके। एक तरीके से यह जीत का मूलमंत्र है.</span> </span><br /><span class=""><span style="color:#990000;"> इसी जीत के मूलमंत्र को सदियों से हर कोई अपनाता चला आ रहा है. यह अलग बात है कि इसे लाबिंग के नाम से नही जाना जाता रहा होगा. आज सभी वर्ग इसी के रास्ते वैतरणी पार कर रहा है. इनमे से कुछ प्रमुख लोगों के ही नाम ही ले रहा हूँ (<span style="color:#000000;">बाकि लोग क्षमा करें कि समयाभाव के कारण उनके नाम नही ले रहा हूँ.</span>)</span> </span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>१- प्यार करने वाले. </strong></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>२- युद्ध लड़ने वाले. </strong></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>३- चुनाव लड़ने वाले. </strong></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>४- आस्कर-पुरस्कार मे नामित. </strong></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>५- फिल्मी-पुरुस्कार. </strong></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>६- व्यापार-जगत. </strong></span><br /><span style="color:#3333ff;"><strong>७- माफिया-जगत और </strong></span><br /><strong><span style="color:#3333ff;">८- मीडिया-जगत.</span> </strong><br /><span class=""><span style="color:#006600;">यह सभी अपनी सर्वोच्चता सिद्ध करने के लिए और शक्तिशाली बनने के लिए "लाबिंग' का सहारा लेते हैं. इसमे किसी भी विधि से ज्यादा से ज्यादा लोगों का समर्थन अपने लिए जुटाते हैं. जिसकी "लाबिंग" तगड़ी होती है वही जीतता है और उसी का सिक्का चलता है. "लाबिंग' का कर्यक्रम चौबीसों घंटे अनवरत चलता रहता है, चाहे परदे के पीछे या फ़िर परदे पर. जैसे इस समय अपने को श्रेष्ट साबित करने के लिए <strong>"ब्लागिंग कि लड़ाई"</strong> कि आड़ मे लाबिंग का कार्यक्रम काफी जोर-शोर से चल रहा है. इस लड़ाई मे एक-दूसरे को <strong>"गालियों से पिरोई मालायें"</strong> खूब पहनाई जा रही हैं. साथ ही साथ <strong>धमकाने और चरित्र-हनन</strong> के प्रयासों का अनवरत सिलसिला बरक़रार रखा गया है. जिससे उम्दा पत्रकार बना जा सके.</span> <span style="color:#cc33cc;"><strong>अब हम जैसे <span style="color:#000000;">"गुरुघंटाल"</span> यह इंतजार कर रहे हैं कि <span style="color:#000000;">"कौन बनेगा उम्दा पत्रकार?"</span> का खिताब किसकी झोली मे जाएगा? </strong></span></span>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-69069680768686481902008-06-02T07:56:00.000-07:002008-06-02T09:09:33.661-07:00महा-गुरु-घंटाल जी कहिन............<span style="color:#cc33cc;"><strong><span style="font-size:130%;">भाइयों !!!</span></strong></span><br /><br /><strong><span style="color:#6600cc;">यह किस्सा तब का है जब मेरे गुरु "महा-गुरु-घंटाल जी" मुझे गुरु-घंटाल बनने का प्रयास कर रहे थे।</span> <span style="color:#009900;">उस समय महा-गुरु-घंटाल जी ने कहा था कि बेटा वक्त बदलने वाला है। तब मैं छोटा था इसलिए नही समझ पाया कि गुरु जी बातों मे क्या गूढ़ रहस्य छिपा है। किंतु इशारों मे ही समझा दिया था कि अब युद्ध के हथियार के रूप मे नई तकनीकि का प्रयोग होगा और <span style="color:#6600cc;">लोग एक-दूसरे पर कीचड उछलने मे शर्मायेंगे अतः एक दूसरे को कीचड मे ही डुबो देंगे।</span> और जगह-जगह मीडिया-वार देखने को मिलेगा। अब इसका प्रमाण देखने को मिल रहा है।</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#990000;">भोपाल तो प्रिंट मीडिया के लिए कुरुक्षेत्र बना हुआ है इससे मैंने आपको परिचित कराया ही था। अभी हाल ही मे मैं एक ब्लॉग पढ़ रहा था तो उसमे एक-दूसरे को स्तर से काफ़ी नीचे गिर कर गलियों के तोहफे दिए जा रहे थे। शर्मनाक बात यह है कि ये लोग पत्रकारिता के पेशे से जुड़े है और इस वर्ग को काफी बुद्धिजीवी, विद्वान तथा सहनशील माना जाता हैं.</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#006600;">वहीं दूसरी ओर एक अन्य ब्लागर ने अपने ब्लाग मे लिखा था की <em><span style="color:#ff0000;">"नाम के लिए साला कुछ भी करेगा, चोरी भी करेगा.."</span></em>। कारण यह था की एक दूसरे ब्लागर ने पहले वाले के ब्लाग से एक स्टोरी चुराकर एक अखबार मे 'संपादक के नाम पत्र' मे भेज दिया था. हालांकि बाद मे उसने माफ़ी भी मांग ली थी.</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#3333ff;">हिन्दी-ब्लाग अभी नवजात शिशु के रूप मे है तभी से उसमे ऐसी विकृति देखने को मिल रही है तो किशोर, वयस्क और प्रौढ़ होने पर क्या होगा? यह एक विचारणीय प्रश्न है। इस पर सभी ब्लागरों को शायद विचार करना चाहिए. ब्लाग रचनात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम है न कि विध्वन्सात्मकता का. ऐसी चीजों पर रोक लगनी चाहिए.</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#ff0000;">हो सकता है कि कुछ लोग कहें कि उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। है भाई बिल्कुल है, मैंने कब कहा नही है लेकिन तब तक, जब तक दूसरे के अधिकारों का हनन न हो. </span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#33ccff;">इन चीजों से एक चीज निकल कर सामने आई है कि महा-गुरु ने सही कहा था।</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#663300;">जय हो महा गुरु जय हो. अब मेरे दिल मे महागुरु के दर्शन की इच्छा प्रबल हो रही है.</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#663300;">मैं चला दर्शन करने............दर्शन के बाद शीघ्र मिलूंगा. </span></strong>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-21529068024293737052008-06-01T08:22:00.000-07:002008-06-01T09:36:27.712-07:00" जब अख़बार मुकाबिल हो तो तलवार निकलों."<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgvUr0SWwNLeM1QMBScYLvZ-ENfc3-B0I4LoBG_oTz3daSTfQLhZLFKs83o2Se5GEPVl0WAAvpfqSG6SVGLiq_quBPw9FRsEFk2TCsRZFGmWMFPnQ6m9Q813Ic0hsWZ2ZF-xcCK5vlSPoA/s1600-h/Picture+028.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206952569031972178" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgvUr0SWwNLeM1QMBScYLvZ-ENfc3-B0I4LoBG_oTz3daSTfQLhZLFKs83o2Se5GEPVl0WAAvpfqSG6SVGLiq_quBPw9FRsEFk2TCsRZFGmWMFPnQ6m9Q813Ic0hsWZ2ZF-xcCK5vlSPoA/s320/Picture+028.jpg" border="0" /></a><br /><div><span class=""><span style="color:#cc33cc;"><span class="">जिस </span>प्रकार समुद्र-मंथन से विष और अमृत दोनों निकला था उसी प्रकार मीडिया-मित्र द्वारा आज भोपाल मे आयोजित</span> <strong>"मीडिया-वार किसके हित मे?"</strong> <span style="color:#cc33cc;">विषय मे दोनों चीजें निकल कर सामने आई हैं। इस मंथन की रस्साकसी मे भाग लेने वाले ज्यादातर मीडिया से जुड़े पत्रकार व संपादक ही थे। इनके अतिरिक्त कुछ पाठक भी थे जैसे बैंक कर्मचारी, छात्र आदि। </span></span></div><br /><div><span class=""></span><span style="color:#cc33cc;">भोपाल जो आज-कल मीडिया का कुरुक्षेत्र बना हुआ है। इस पर कुछ लोगों की राय थी की यह ठीक नही है, वहीं कुछ लोगों के विचार थे कि इस से पत्रकारों ,पत्रकारिता और पाठकों को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इस मंथन से निकले विष और अमृत के अतिरक्त कई अन्य बहुमूल्य चीजें भी भी पूर्व कि भांति निकली है। </span></div><br /><div><span class=""><strong>अमृत के रूप</strong> <strong>मे- </strong></span></div><br /><div><span style="color:#009900;"><strong>*</strong> इस वार के कारणपाठकों को कम कीमत पर अख़बार उपलब्ध होंगे।</span></div><br /><div><span style="color:#009900;">* इससे जो खबरें दबाई जाती थीं वो अब बाहर आएँगी। </span></div><br /><div><span style="color:#009900;">* संपादक का जो महत्व घट गया था, वह पुर्नस्थापित होगा जो कि पत्रकारिता के लिए काफी फायदेमंद है। </span></div><br /><div><span class=""><span style="color:#009900;">* अच्छे पत्रकारों कि तनख्वाह बढेगी।</span> </span></div><br /><div><strong>विष के रूप मे- </strong></div><br /><div><span style="color:#cc0000;"><strong>*</strong> पत्रकारों पर दबाव बढेगा। </span></div><br /><div><span style="color:#cc0000;">* मांग के अनुरूप तैयार न होने वाले पत्रकार इस क्षेत्र से बाहर हो जायेंगे। </span></div><br /><div><span style="color:#cc0000;">* पाठकों मे भ्रम कि स्थिति बनेगी कि कौन से पत्र कि विश्वसनीयता है। </span></div><br /><div><span class=""><span style="color:#cc0000;">* अच्छे पत्रकारों को पढने के लिए कई पत्र खरीदने पड़ेंगे।</span> </span></div><br /><div><span class=""><span style="color:#cc33cc;">कुल मिलाकर यह लड़ाई औद्योगिक घरानों कि है जो अपनी ताकत बढाने के लिए लड़ रहे हैं और इसमे पत्रकारों का प्रयोग एक सैनिक के रूप मे कर रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा यह लड़ाई ६ महीने से साल भर चलेगी. तभी तक पत्रकारों की तनख्वाह शेअर की तरह भागेंगे और साल भर बाद यह धडाम से औंधे मुंह नीचे गिरेंगे. इस युद्ध मे नुकसान छोटे अख़बारों को होगा. औद्योगिक घरानों की लड़ाई मे पहले भी कई अख़बार खत्म हो चुके हैं. इस लड़ाई मे भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर तलवार भी निकल आई थी. इस घटना पर एक महोदय ने सुनाया कि -</span><strong> <span style="color:#3333ff;">" जब अख़बार मुकाबिल हो तो तलवार निकलों."</span></strong> <span style="color:#cc33cc;">जब कि यह वास्तविक शेर यह है कि-</span><strong> </strong><span style="color:#3333ff;"><strong>खींचो न कमान न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालो.</strong> </span></span></div><br /><div><span class=""><span style="color:#cc33cc;">कुल मिलकर इस लड़ाई से फायदा ज्यादा है अपेक्षाकृत नुकसान के.</span> </span></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-52209120230894147072008-05-31T04:57:00.000-07:002008-05-31T06:38:13.745-07:00फिल्मों का बदलता ट्रेंड....कामेडी से एक्शन की ओर.<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIB41XfL12VuonnwFGdljQ6E_6hTrZ32LseM8b4wmNAnpU4fotW5iSKp5etyFfLJlE2cOW_i1EM1p0z1iI-ccF6ZZO04ykGLV1SncTZXhf5Lj0b2jdKc5kvAqQOFkQGvUg19TlMWt2gj4/s1600-h/ghajini-3.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206535072440997154" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIB41XfL12VuonnwFGdljQ6E_6hTrZ32LseM8b4wmNAnpU4fotW5iSKp5etyFfLJlE2cOW_i1EM1p0z1iI-ccF6ZZO04ykGLV1SncTZXhf5Lj0b2jdKc5kvAqQOFkQGvUg19TlMWt2gj4/s320/ghajini-3.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNj8QLWTKwuhpseMwKyBiobFSAH39dySVNP2-Strf50aH8LslLH8zxMI19ZWQ8RoPjTJZuByd6fR-Merd0hHAAHPP_FiJoT0EwqE97Cnws9vAhOJ_0dM2rPIfm4CDHVlCmOtMQ4U92Xrs/s1600-h/Delhi0504_1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206535076735964466" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiNj8QLWTKwuhpseMwKyBiobFSAH39dySVNP2-Strf50aH8LslLH8zxMI19ZWQ8RoPjTJZuByd6fR-Merd0hHAAHPP_FiJoT0EwqE97Cnws9vAhOJ_0dM2rPIfm4CDHVlCmOtMQ4U92Xrs/s320/Delhi0504_1.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoWMkWC9nxiseCOP2ucyRpiMqh8DW6Pa57LibqCG72wxDklUIdkpGpv-njWiS4y_ZdCjRy9eyCaVyw1Pzx_A_LoAawc_bml2DIK-tDwuWJIsukEiv0a_Sy1fScS-SkQPdHBstUJlegoJY/s1600-h/drona1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206535081030931778" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoWMkWC9nxiseCOP2ucyRpiMqh8DW6Pa57LibqCG72wxDklUIdkpGpv-njWiS4y_ZdCjRy9eyCaVyw1Pzx_A_LoAawc_bml2DIK-tDwuWJIsukEiv0a_Sy1fScS-SkQPdHBstUJlegoJY/s320/drona1.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEii1EVJ5U6olCOUnItluQCYoxIFVIO_wl_TGpMtUf8iS8tBKcJGNb6cwYlf1D6u2D8OjUbZgXqisNLkKLZflMEVEuY9gQ6EjWkLmhsDQpBB_DA1TivxX_4ITsrFxU3lQ3-htEfJ7n4L2os/s1600-h/4123644_love_story_2050_5.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206527947090253042" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEii1EVJ5U6olCOUnItluQCYoxIFVIO_wl_TGpMtUf8iS8tBKcJGNb6cwYlf1D6u2D8OjUbZgXqisNLkKLZflMEVEuY9gQ6EjWkLmhsDQpBB_DA1TivxX_4ITsrFxU3lQ3-htEfJ7n4L2os/s320/4123644_love_story_2050_5.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbcCLK3qijCOSE8-qAYUbLjLvop4jrw1pa4sxexfT7YmnN8ThEqATzdO_fzDQrRSARY_LtR1EoU85wagrd49qM-DmJna0rAWkhqNCse-Rb4OiIomR3n15nH4X_1nAjvgQt5KUAued4yGo/s1600-h/sarkar22.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206527951385220354" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbcCLK3qijCOSE8-qAYUbLjLvop4jrw1pa4sxexfT7YmnN8ThEqATzdO_fzDQrRSARY_LtR1EoU85wagrd49qM-DmJna0rAWkhqNCse-Rb4OiIomR3n15nH4X_1nAjvgQt5KUAued4yGo/s320/sarkar22.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZzTBX-5ds3FbnVF6NcMP0LDL7w27J5IwS6WlWLaNdlPkos0Ep1A9LCO_MfAoBxQjOApihBDrWjaY1gualluR5oPgJmhC9_7Yur_9HFDqUSkfkhFtlyi_23WVELeRK8qbyr9g4QEgoBE8/s1600-h/sing22.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206527951385220370" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZzTBX-5ds3FbnVF6NcMP0LDL7w27J5IwS6WlWLaNdlPkos0Ep1A9LCO_MfAoBxQjOApihBDrWjaY1gualluR5oPgJmhC9_7Yur_9HFDqUSkfkhFtlyi_23WVELeRK8qbyr9g4QEgoBE8/s320/sing22.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div>फ़िल्म जगत का सबसे बड़ा <span class="">ड्रा </span>बैक <span class="">है </span><span class="">कि </span><span class="">यहाँ </span>ट्रेंड का जोर चलता है। अभी जो दौर खत्म हुआ है वह है कामेडी का। फ़िल्म उद्योग अभी तक कामेडी फिल्मों को ही सफलता कि गारंटी मान रहा था। अधिकांश हास्य फिल्में <span class="">हिट </span>हुई <span class="">तो </span>सभी ने कामेडी फिल्में ही बनानी शुरू कर दी। लेकिन एकरसता से दर्शक ऊब जाता है, यही कारण है कि कई हास्य फिल्मों ने बॉक्स आफिस पर पानी भी नही माँगा और कई तो गुमनामी के अंधेरे मे खो गईं। कब सिनेमा हॉल मे आयीं और कब चली गईं पता ही नही चला। </div><br /><br /><div>अब कामेडी फिल्मों का हश्र देख कर लोगों ने अलग राह पकड़ ली है। यह नई राह <span class="">है </span>एक्शन फिल्मों का। <span class="">बड़े-</span>बड़े बैनर भी और <span class="">अभिनेता, </span>निर्देशक भी इसी राह पर चल पड़े हैं। इस कड़ी मे पहला नाम है रामू कि 'सरकार <span class="">राज'</span> <span class="">का। </span>वहीं अक्षय कुमार भी वापस एक्शन कि लौट पड़े हैं। 'सिंह इज किंग', '<span class="">चांदनी-</span> चौक टू <span class="">चायना-</span> टाउन ','किडनैप', 'हिरोज', '<span class="">युवराज','</span>द्रोण','<span class="">लव-</span> स्टोरी २०५०', 'दिल्ली-६' 'गजनी' आदि सभी फिल्में एक्शन फिल्में हैं और इनसे जुड़े नाम भी काफी बड़े-बड़े हैं। अक्षय कुमार, सलमान खान, आमिर <span class="">खान, </span>संजय दत्त, अभिषेक <span class="">बच्चन, </span>अमिताभ बच्चन, हर्मन बवेजा, ऐश्वर्या <span class="">राय, </span>प्रियंका चोपडा, संजय गढ़वी, राकेश <span class="">मेहरा </span>और गोल्डी बहल ये सभी एक्शन कि राह पर चल पड़े हैं। यह हाल सिर्फ़ बड़े परदे का ही नही छोटे परदे का भी हो रहा है। छोटे परदे पर '<span class="">फीअर-</span><span class="">फैक्टर'</span> के हिन्दी रूपांतरण के प्रस्तोता एक्शन सम्राट अक्षय कुमार होंगे। यानीकि फ़िर से लौट आया है एक्शन का <span class="">दिन। </span>एक्शन के दीवानों ....................होशियार...........यह साल करेगा आपको मालामाल। </div></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7946153665938308387.post-20962155374045730682008-05-30T04:53:00.000-07:002008-05-30T06:04:20.221-07:00एक भूल के क्या मायने हो सकते हैं?<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhoKzeq9aN5Q4xUveTRvhjJwwFg20A2gdmAud5JKEwuoJscMSY6FXCTkqMJ03hf9N-lKp3Oomp99M0a67mBT0-3mmHJetJ3jyEKA0tlMrgNpVXknjTzakdxdrC-I9GnxKAqc8xD9szkTDU/s1600-h/galti+copy.jpg"></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxzxb9IEN9mwe6Mpk8Qj2jlE2PBsV7to8nPpOXeCbefAhbxpz88Crnyc830RWz3549tEKl6iwNsH1t0VrZmp-ZXBonnbw_KrpFSrLIPRKIVo92sgnolubcHFBfgYkB9jjq44uj6Le39Ec/s1600-h/galti.bmp"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5206149616306050258" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxzxb9IEN9mwe6Mpk8Qj2jlE2PBsV7to8nPpOXeCbefAhbxpz88Crnyc830RWz3549tEKl6iwNsH1t0VrZmp-ZXBonnbw_KrpFSrLIPRKIVo92sgnolubcHFBfgYkB9jjq44uj6Le39Ec/s320/galti.bmp" border="0" /></a><br /><br /><br /><div></div><br /><br /><br /><p>आज दिनांक <strong>३० मई ०८</strong> को मैंने <strong>पोर्टल</strong> पर समाचार देखने के लिए <strong>बीबीसी</strong> खोला <span class="">तो </span><strong>मनोरंजन के कालम</strong> <span class="">मे </span>पहली ख़बर थी कि <strong>"<span class="">हाथी </span>ने सात लोगों को कुचल कर मारा" ।</strong> </p><p>मेरी समझ मे नही आया कि सात <span class="">लोगों </span>के मरने <span class="">की </span>ख़बर मनोरंजन कैसे हो सकती है? इसके दो कारण हो सकते है - * या तो लोगों मे मानवता खत्म हो गई है <span class="">कि </span><span class="">आदमी </span>के जान <span class="">की </span><span class="">कीमत </span>कुछ नही है , तो इसे मनोरंजन माना जा सकता है। </p><p> * या फ़िर ऐसा गलती से हो गया।</p><p><span class=""></span> इसमे दूसरा कारण ही सत्य प्रतीत होता है। अगर दूसरा कारण सत्य है तो यह भी अच्छी बात नही <span class="">है। </span>अधिकांश <span class="">लोग </span>बीबी<span class="">सी </span>को सबसे तेज और सर्वाधिक सत्य मानते हैं। इससे ऐसी गलती कि उम्मीद नही थी और तो और शाम तक इसे सुधारा भी नही जा सका। क्या इस भूल के कोई मायने है?</p></div>shivamhttp://www.blogger.com/profile/03149024505131314494noreply@blogger.com2