मंगलवार, 3 जून 2008

कौन बनेगा उम्दा पत्रकार ????????

एक पुरानी कहावत है कि "प्यार और जंग मे सब-कुछ जायज है।" इस कहावत का वास्तिक अर्थ मैं अब समझ पाया हूँ। कहावत मे सर्वाधिक कन्फ्युजिंग शब्द है "सब-कुछ"। "सब-कुछ" का अर्थ होता है 'लाबिंग".
जंग को जीतने की बात छोडिये, सिर्फ़ जंग लड़ने की बात हो तो उसके लिए भी लाबिंग करनी पड़ती है। जैसे इराक पर हमले के पहले अमरीका को लाबिंग करनी पड़ी थी।
यही हाल प्यार का भी है कि प्यार को पाने के लिए लाबिंग करनी पड़ती है।
आइये पहले जाने कि "लाबिंग" का अर्थ क्या है?
"लाबिंग" का अर्थ है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने पक्ष मे करना ताकि विपक्षी पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके और जीत हासिल कि जा सके। एक तरीके से यह जीत का मूलमंत्र है.
इसी जीत के मूलमंत्र को सदियों से हर कोई अपनाता चला आ रहा है. यह अलग बात है कि इसे लाबिंग के नाम से नही जाना जाता रहा होगा. आज सभी वर्ग इसी के रास्ते वैतरणी पार कर रहा है. इनमे से कुछ प्रमुख लोगों के ही नाम ही ले रहा हूँ (बाकि लोग क्षमा करें कि समयाभाव के कारण उनके नाम नही ले रहा हूँ.)
१- प्यार करने वाले.
२- युद्ध लड़ने वाले.
३- चुनाव लड़ने वाले.
४- आस्कर-पुरस्कार मे नामित.
५- फिल्मी-पुरुस्कार.
६- व्यापार-जगत.
७- माफिया-जगत और
८- मीडिया-जगत.
यह सभी अपनी सर्वोच्चता सिद्ध करने के लिए और शक्तिशाली बनने के लिए "लाबिंग' का सहारा लेते हैं. इसमे किसी भी विधि से ज्यादा से ज्यादा लोगों का समर्थन अपने लिए जुटाते हैं. जिसकी "लाबिंग" तगड़ी होती है वही जीतता है और उसी का सिक्का चलता है. "लाबिंग' का कर्यक्रम चौबीसों घंटे अनवरत चलता रहता है, चाहे परदे के पीछे या फ़िर परदे पर. जैसे इस समय अपने को श्रेष्ट साबित करने के लिए "ब्लागिंग कि लड़ाई" कि आड़ मे लाबिंग का कार्यक्रम काफी जोर-शोर से चल रहा है. इस लड़ाई मे एक-दूसरे को "गालियों से पिरोई मालायें" खूब पहनाई जा रही हैं. साथ ही साथ धमकाने और चरित्र-हनन के प्रयासों का अनवरत सिलसिला बरक़रार रखा गया है. जिससे उम्दा पत्रकार बना जा सके. अब हम जैसे "गुरुघंटाल" यह इंतजार कर रहे हैं कि "कौन बनेगा उम्दा पत्रकार?" का खिताब किसकी झोली मे जाएगा?

2 टिप्‍पणियां:

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

बहूत खूब

Deepak Gautam ने कहा…

wah bhai kya lika hai sab kuch jaij hai