गुरुवार, 29 मई 2008

प्रिंट मीडिया का कुरुक्षेत्र बना भोपाल.......

प्रिय मीडियाकर्मियों, उद्योगपतियों, ब्लागरों और पाठकों, नमस्कार, भोपाल मे कई दिनों से कुरुक्षेत्र के युद्ध का शंखनाद हो रहा था और युद्ध की तैयारियां बड़े जोर-शोर से चल रही थीं। लेकिन समझ मे नही आ रहा था कि वास्तव मे युद्ध कब शुरू होगा। भई यह युद्ध प्रिंट मीडिया मे छिड़ा है। कौन कौरव है और कौन पांडव समझ मे नही आ रहा है। फिर भी हैं एक ही खून। दोनों मीडिया के ही पुत्र हैं। सभी मीडियाकर्मी दम साधे पहले वार का इंतजार कर रहे थे कि पहला वार कौन करेगा? आख़िर इंतजार कि घडियाँ ख़त्म हुई। २७ मई ०८ को भास्कर ने एक सफ़ेद बाघिन रिनी के मौत कि ख़बर लगा दी। तो२८ मई ०८ को पत्रिका ने फ्रंट पेज पर ख़बर दी कि "भास्कर ने दी झूठी ख़बर,रिनी अभी जीवित" साथ ही एक फुल पेज प्रचार लगाया कि 'आप २८% कम ख़बर और ग़लत ख़बर के लिए चुका रहे हैं दुगना पैसा'। अब लोग बाग इंतजार कर रहे थे भास्कर के पलटवार का, लेकिन भास्कर का न तो पलटवार हुआ और न ही उन्होंने ग़लत ख़बर के लिए माफ़ी मांगी। २९ मई ०८ को पुनः पत्रिका ने अपने सम्पादकीय मे एक व्यंग छापा जो कि भास्कर संपादक और सफ़ेद बाघिन रिनी के टेलीफोन वार्ता पर आधारित है। अब फ़िर लोगों को इंतजार है कि देखें भास्कर क्या पलटवार करता है? शायद भास्कर इंतजार कर रहा है कि उचित समय पर तगड़ा वार करने का. कुछ भी हो इस युद्ध से भोपालियों को खूब फायदा मिल रहा है. प्राइस वार मे लगभग मुफ्त अख़बार लेने के अतिरिक्त मुफ्त युद्ध भी देखने को मिल रहा है. ऐसा अभी कई दिनों तक रहेगा. तो अगले वार तक दीजिये 'संजय' को दीजिये विदा.......................................पुनः 'कुरुक्षेत्र' मे मिलेंगे.

1 टिप्पणी:

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

दुर्भाग्यपुर्ण घटना