शनिवार, 31 मई 2008

फिल्मों का बदलता ट्रेंड....कामेडी से एक्शन की ओर.








फ़िल्म जगत का सबसे बड़ा ड्रा बैक है कि यहाँ ट्रेंड का जोर चलता है। अभी जो दौर खत्म हुआ है वह है कामेडी का। फ़िल्म उद्योग अभी तक कामेडी फिल्मों को ही सफलता कि गारंटी मान रहा था। अधिकांश हास्य फिल्में हिट हुई तो सभी ने कामेडी फिल्में ही बनानी शुरू कर दी। लेकिन एकरसता से दर्शक ऊब जाता है, यही कारण है कि कई हास्य फिल्मों ने बॉक्स आफिस पर पानी भी नही माँगा और कई तो गुमनामी के अंधेरे मे खो गईं। कब सिनेमा हॉल मे आयीं और कब चली गईं पता ही नही चला।


अब कामेडी फिल्मों का हश्र देख कर लोगों ने अलग राह पकड़ ली है। यह नई राह है एक्शन फिल्मों का। बड़े-बड़े बैनर भी और अभिनेता, निर्देशक भी इसी राह पर चल पड़े हैं। इस कड़ी मे पहला नाम है रामू कि 'सरकार राज' का। वहीं अक्षय कुमार भी वापस एक्शन कि लौट पड़े हैं। 'सिंह इज किंग', 'चांदनी- चौक टू चायना- टाउन ','किडनैप', 'हिरोज', 'युवराज','द्रोण','लव- स्टोरी २०५०', 'दिल्ली-६' 'गजनी' आदि सभी फिल्में एक्शन फिल्में हैं और इनसे जुड़े नाम भी काफी बड़े-बड़े हैं। अक्षय कुमार, सलमान खान, आमिर खान, संजय दत्त, अभिषेक बच्चन, अमिताभ बच्चन, हर्मन बवेजा, ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपडा, संजय गढ़वी, राकेश मेहरा और गोल्डी बहल ये सभी एक्शन कि राह पर चल पड़े हैं। यह हाल सिर्फ़ बड़े परदे का ही नही छोटे परदे का भी हो रहा है। छोटे परदे पर 'फीअर-फैक्टर' के हिन्दी रूपांतरण के प्रस्तोता एक्शन सम्राट अक्षय कुमार होंगे। यानीकि फ़िर से लौट आया है एक्शन का दिन। एक्शन के दीवानों ....................होशियार...........यह साल करेगा आपको मालामाल।

शुक्रवार, 30 मई 2008

एक भूल के क्या मायने हो सकते हैं?








आज दिनांक ३० मई ०८ को मैंने पोर्टल पर समाचार देखने के लिए बीबीसी खोला तो मनोरंजन के कालम मे पहली ख़बर थी कि "हाथी ने सात लोगों को कुचल कर मारा" ।

मेरी समझ मे नही आया कि सात लोगों के मरने की ख़बर मनोरंजन कैसे हो सकती है? इसके दो कारण हो सकते है - * या तो लोगों मे मानवता खत्म हो गई है कि आदमी के जान की कीमत कुछ नही है , तो इसे मनोरंजन माना जा सकता है।

* या फ़िर ऐसा गलती से हो गया।

इसमे दूसरा कारण ही सत्य प्रतीत होता है। अगर दूसरा कारण सत्य है तो यह भी अच्छी बात नही है। अधिकांश लोग बीबीसी को सबसे तेज और सर्वाधिक सत्य मानते हैं। इससे ऐसी गलती कि उम्मीद नही थी और तो और शाम तक इसे सुधारा भी नही जा सका। क्या इस भूल के कोई मायने है?

गुरुवार, 29 मई 2008

प्रिंट मीडिया का कुरुक्षेत्र बना भोपाल.......

प्रिय मीडियाकर्मियों, उद्योगपतियों, ब्लागरों और पाठकों, नमस्कार, भोपाल मे कई दिनों से कुरुक्षेत्र के युद्ध का शंखनाद हो रहा था और युद्ध की तैयारियां बड़े जोर-शोर से चल रही थीं। लेकिन समझ मे नही आ रहा था कि वास्तव मे युद्ध कब शुरू होगा। भई यह युद्ध प्रिंट मीडिया मे छिड़ा है। कौन कौरव है और कौन पांडव समझ मे नही आ रहा है। फिर भी हैं एक ही खून। दोनों मीडिया के ही पुत्र हैं। सभी मीडियाकर्मी दम साधे पहले वार का इंतजार कर रहे थे कि पहला वार कौन करेगा? आख़िर इंतजार कि घडियाँ ख़त्म हुई। २७ मई ०८ को भास्कर ने एक सफ़ेद बाघिन रिनी के मौत कि ख़बर लगा दी। तो२८ मई ०८ को पत्रिका ने फ्रंट पेज पर ख़बर दी कि "भास्कर ने दी झूठी ख़बर,रिनी अभी जीवित" साथ ही एक फुल पेज प्रचार लगाया कि 'आप २८% कम ख़बर और ग़लत ख़बर के लिए चुका रहे हैं दुगना पैसा'। अब लोग बाग इंतजार कर रहे थे भास्कर के पलटवार का, लेकिन भास्कर का न तो पलटवार हुआ और न ही उन्होंने ग़लत ख़बर के लिए माफ़ी मांगी। २९ मई ०८ को पुनः पत्रिका ने अपने सम्पादकीय मे एक व्यंग छापा जो कि भास्कर संपादक और सफ़ेद बाघिन रिनी के टेलीफोन वार्ता पर आधारित है। अब फ़िर लोगों को इंतजार है कि देखें भास्कर क्या पलटवार करता है? शायद भास्कर इंतजार कर रहा है कि उचित समय पर तगड़ा वार करने का. कुछ भी हो इस युद्ध से भोपालियों को खूब फायदा मिल रहा है. प्राइस वार मे लगभग मुफ्त अख़बार लेने के अतिरिक्त मुफ्त युद्ध भी देखने को मिल रहा है. ऐसा अभी कई दिनों तक रहेगा. तो अगले वार तक दीजिये 'संजय' को दीजिये विदा.......................................पुनः 'कुरुक्षेत्र' मे मिलेंगे.

बुधवार, 28 मई 2008

आख़िर दंत-कथा सत्य सिद्ध हुई.




आज नेपाल लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया है। २४० वर्ष पुरानी राजशाही और हिन्दू राष्ट्र की छवि जो नेपाल ने बनाईं थी वह कल टूट गई। अब यहाँ भी राष्ट्रपति प्रतीकात्मक रूप से राष्ट्र का प्रमुख होगा किंतु वास्तविक सत्ता प्रधानमंत्री के हाथ मे ही रहेगी।

नेपाल की राजशाही के विषय मे एक किवदंती प्रचलित थी कि १८वी शाताव्दी मे नेपाल को एकजुट करने वाले गोरख नरेश पृथ्वी नारायण शाह को भगवान गोरखनाथ ने आशीर्वाद दिया था कि उनकी ११वी पीढ़ी तक नेपाल पर उनका शासन रहेगा। वह आशीर्वाद आज सच हो गया।

नई सत्ता ने नरेश को कुछ दिनों कि मोहलत देते हुए नारायनाहिती महल को छोड़ने का फरमान सुनाया है। १७६५-६८ से शुरू हुआ राज वंश का शासन कल समाप्त हो गया। इस राजपरिवार के सम्बन्ध भारत के साथ बहुत अच्छे रहे हैं। इस राजपरिवार के लगभग सभी सदस्यों (पुत्र एवं पुत्रिओं) के विवाह भारत मे ही हुए हैं। वर्तमान राजा ज्ञानेन्द्र के पुत्र परस कि पत्नी हिमानी राजस्थान के सीकर राजपरिवार की हैं।

रविवार, 25 मई 2008

बेस्ट ''आई एस आई'' सपोर्टर अवार्ड ......

पिछले दिनों राजस्थान मे हुए बम-विस्फोट पर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया ने बयानबाजी की बांग्लादेशियों को चिन्हित करके वापस उनके देश भेज देना चाहिए. इस पर केन्द्रीय गृह मंत्री शिव राज सिंह पाटिल का बयान आया की भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है अतः यह भारत की छवि के के खिलाफ है. वहीं कुछ दिन बाद अपने संसदीय क्षेत्र लातूर मे संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की तुलना सबरजीत से करने और अफजल को फांसी न देने की वकालत की. भारत के एक जिम्मेदार पद पर शोभायमान मंत्री के इस बयान से भारतीयों मे निराशा फ़ैल गई और पूरा देश शर्मिंदा हो गया. वहीं पाक खुफिया एजेंसी आई एस आई मे खुशी की लहर फ़ैल गई. इसी के साथ मंत्री जी बेस्ट ''आई एस आई'' सपोर्टर अवार्ड की दौड़ मे सबसे आगे निकल गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि जिम्मेदार पद पर रहते हुए १-२ और ऐसे बयान देने के बाद यह अवार्ड उन्हें मिलना बिल्कुल पक्का है. तो आप लोग अपने आँख-कान खुले रखिये. पता नही कब यह उपलब्धि उनकी झोली मे आ गिरे.............तो फ़िर इंतजार कीजिये.

अर्जुन सिंह का नया अवतार कर्नल बैंसला ?????

राजस्थान मे आरक्षण का जिन्न बोतल से फ़िर से बाहर आ गया है और कईयों की जान भी ले ली। गुर्जर आन्दोलन के हिंसक हो जाने के कारण पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी जिससे कई लोग मरे। सरकारी आंकडे मे मरने वालों की संख्या ३७ हो गई है। वास्तव मे ज्यादा ही होगी। इसके पहले भी यह आन्दोलन तीन बार पूर्व मे कई जाने ले चुका है। पिछले वर्ष आन्दोलन मे कर्नल के कमान सँभालने के बाद करीब ७०० लोग मारे जा चुके हैं। भोले-भाले लोगों को बहलाकर, भड़काकर उन्हें मृत्यु की आग मे झोंक देना और फ़िर उनकी लाशों पर अपनी रोटी सेकना बैंसला को अच्छी तरह आता है। वो एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह पैंतरे चल रहे हैं। मुझे लगा था की अर्जुन सिंह जी अब काफी बुजुर्ग हो गए हैं और मंडल की महिमा भी खूब दिखाये और अब सन्यास ले रहे हैं, लेकिन मैं ग़लत था। अब वो फ़िर से अवतार ले चुके हैं वह भी कर्नल किरोणी सिंह बैंसला के रूप मे. इन घटनाओं से कर्नल की मार्केट वैल्यू राजनैतिक दलों मे खूब बढ़ गई है. इस आन्दोलन का लाभ गुर्जरों को कम कर्नल को ज्यादा मिलेगा. भगवान् बचाए ऐसे अगुवाकारों से...........

शुक्रवार, 23 मई 2008

नौटंकी चालू आहे .

भारत मे नेताओं का विश्वासपात्र बनने की होड़ काफी है। लेकिन विगत कुछ वर्षों से एक नया तरीका अपनाया जा रहा है। और वह तरीका है कि जिस नेता का विश्वासपात्र बनना हो उसे देवी-देवताओं मे चित्रित करो और नेता पुरान,नेता चालीसा आदि तैयार कराओ।
इसी कड़ी मे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कांग्रेस कर्यालय मे सोनिया गाँधी को माँ दुर्गा के रूप मे चित्रित कर के लगाया है। वहीं राजस्थान कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया को भी माँ दुर्गा के रूप मे चित्रित किया जा चुका है। मायावती, लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और नीतीश कुमार कि चालीसा भी पूर्व मे बनाईं जा चुकी हैं।
इस प्रकार कि चाटुकारिता का अलग ही आनंद है। यह आनंद कोई भी नेता खोना नही चाहता है। भाई, कहीं तोउनकी पूजा हो रही है, इस प्रकार कि भक्ति मे भक्त को वरदान मिलता है। वह वरदान चुनाव टिकट से लेकर विदेश यात्रा, ठेके से लेकर मंत्रिपद कुछ भी हो सकता है।
तो भाइयों इच्छित वरदान के लिए आप भी भक्ति शरू कर दो।............मैं .......मैं भी चला भक्ति करने।
ॐ नेताय नमः।

गुरुवार, 22 मई 2008

जरनल जिया-उल-हक़ का "ईशनिंदा क़ानून".


कराची के एक कपड़ा फैक्ट्री मे काम कर रहे एक मजदूर जगदीश की अपने मुस्लिम साथी से विवाद हो जाने पर उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। हत्यारे ने पुलिस को कारण अल्लाह की निंदा करना बताया।
जरनल जिया-उल-हक़ ने धार्मिक कट्टरता को पोषण देने के लिए "ईशनिंदा कानून" बनाया था। इसके अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अल्लाह या कुरान की निंदा करता है तो उसकी पत्थर मार कर हत्या कर दी जाए और जुर्म साबित करने के लिए मात्र एक गवाह की जरूरत होगी। गवाह की सत्यता परखने की कोई जरूरत नही होगी। इस कानून से अब तक कई दर्जन हिन्दू और ईसाई की हत्या हो चुकी है।
पाक मे हिन्दू सिंध प्रान्त मे केंद्रित हैं और उन पर जुल्म होता रहता है परन्तु कभी-कभार ही कोई ख़बर आ पाती है। मसलन जब एक ही घर की तीन हिन्दू लड़कियों का जबरन अपहरण कर निकाह कर लिया गया तो पिता ने अदालत से गुहार लगाई। अदालत ने राहत देने के बजाय लड़कियों को मदरसे मे यह कहते हुए डाल दिया कि उन्होंने धर्म परिवर्तन करके निकाह किया है।
पाक मे गैर मुस्लिमों पर अत्याचार, बलात्कार और हत्या आम बात है। इसी डर से अनेक लोग धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बन गए हैं।क्या मानवाधिकार, पत्रकार व अन्य बुद्धिजीवी इस क़ानून के खिलाफ आवाज उठायेंगे? या सिर्फ़ उन्हें कश्मीर, गुजरात और भारत का अन्याय ही दिखाई देता है। अरे भाई ! भारत का सर्वधर्म समभाव और लोकतंत्र भी देखो।

दिल्ली विश्वाविद्यालय के इतिहास पर दायर याचिका खारिज.

शिक्षाविद दीनानाथ बत्रा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक के इतिहास मे पढाये जा रहे रामायण के कुछ हिस्सों पर आपत्ति जाहिर करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट मे याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। यह विवादित अंश लक्षमण द्वारा सीता का शील भंग करना और हनुमान का एक छोटा बन्दर होना बताया है। कोर्ट ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता माना है और कहा है की इस पर निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय लेगा।

बुधवार, 21 मई 2008

कश्मीर को समस्या बनाने के जिम्मेदार तीन प्रमुख व्यक्ति ?




जी हाँ , वो तीन प्रमुख व्यक्ति हैं - पंडित नेहरू , राजा हरी सिंह और शेख अब्दुल्ला
राजा और नेहरू की आपसी लड़ाई का फायदा शेख ने उठाया। जिसका खामियाजा आज भी भारत भुगत रहा है। कश्मीर को धारा ३७० के तहत विशेष राज्य का दर्जा मिला और कश्मीर समस्या भारत के लिए " कोढ़ मे खाज " हो गया है।

सोमवार, 19 मई 2008

पुतिन रूस के सर्वोच्च नेता क्यों?



क्योंकि उनके आठ साल के राष्ट्रपतित्व काल मे रूस में यह बदलाव आए :-
*
१०१ अरबपति बने २००७ मे।
* ७% की दर से वृद्धि हुई सकल घरेलू उत्पाद मे २००७ के बाद ।
* १०वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दुनिया मे,पहले २२वे नंबर पर था।
* ६४० डॉलर औसत वेतन है, पहले ८० डॉलर था।
* ४७० अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है, पहले १२ अरब डॉलर था।
* १३% है गरीब आबादी का अनुपात, पहले ३०%था
* ५.५ करोड़ आबादी है मध्य वर्ग की, पहले ८० लाख थी।
* १३३० ख़राब डॉलर है शेयर बाजार की पूंजी, पहले ६० अरब डॉलर थी।
* ८२ अरब डॉलर रही पूंजी की आवक २००७ मे।
* आतंकवादी हमलों को सख्ती से कुचला -
#चेचन बागी द्वारा मास्को थियेटर मे ७०० बंधकों को छुडाने मे सभी ४२ आतंकवादिओं के साथ १२० बंधक मरे।
# चेचन बागी द्वारा बेसलान स्कूल में १३०० वयस्कों और बच्चों को छुडाने मे सभी ३१ आतंकवादिओं के साथ ३४४ बंधक मरे।
* भ्रष्टाचार, माफिया और कुलीन तंत्र से देश को मुक्त कराया।
* राजनैतिक और आर्थिक ढांचे पर अपनी पकड़ मजबूत की।
* तेल से मुद्रा बनाईं।
## पुतिन ने प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ यूनाईटेड रशिया पार्टी, जिसकी संसद और संघीय परिषद् पर नियंत्रण है, के अध्यक्ष बने हैं और १७ वर्षीय वफादार सहयोगी मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनवाया जो क़ानून के प्रोफेसर से राजनेता बने हैं. इस प्रकार देखें तो आज भी रूस पर पुतिन की पकड़ है और वही सर्वोच्च नेता बने रहेंगे।
काश ! भारत को भी कोई पुतिन मिल जाता.

रविवार, 18 मई 2008

दिल फाड़ दिया.......









मैंने पिछले पोस्ट मे आपको एक युवा कवि की भावनाओं से परिचित कराया था,अब आप आगे देखिये की वह अपने को तसल्ली कैसे दे रहा है.
मकबूल फ़िदा हुसैन आज-कल फ़िर चर्चा मे आ गए हैं
और लोगों के दिमाग पर कुछ समय के लिए छा गए है।
इस बार भी कारनामा कोई नया नही पुराना है
फर्क सिर्फ़ इतना की नई हिरोइन पर दिल का आना है।
पहले भी 'माधुरी दीक्षित' ने इनके दिल का चैन लूटा था
और 'माधुरी नेने' बनने से इनका दिल टूटा था।
अब ये टूटे दिल पर 'अमृता राव' नामक मरहम लगा रहे हैं
और पोती समान तारिका को इश्क के लिए पटा रहे हैं।
इतना ही काफी नही है इनके लिए
मीडिया के माध्यम से पूरी दुनिया को दिखा रहे हैं
और प्रचार भी खूब पा रहे हैं।
इन्होने 'हम आपके हैं कौन' देखने का रिकार्ड बनाया था
और 'माधुरी दीक्षित' से दिल लगाया था।
वादा कर रहे हैं 'विवाह' देखने का भी रिकार्ड बनायेंगे
और पूर्व की भांति 'अमृता राव' से दिल लगायेंगे।
सबसे बुजुर्ग प्रेमी का नाम गिनीज मे दर्ज कराएँगे
इस प्रकार देशी बुड्ढों के आदर्श बन जाएंगे।
पिछली बार की तरह 'अमृता राव' 'अमृता शुक्ला' बन गई
तो कौन से मरहम की खोज मे मुम्बई जाएंगे।
'इश्क की उम्र नही होती ग़ालिब' को सत्य ठहरा रहे हैं
९० की उम्र मे १८ से इश्क फरमा रहे हैं।
ऐसे बुड्ढे को सरेआम दे देनी चाहिए फांसी
कार्टूनिस्ट का सर कलम वाले कहाँ मर गए पाजी।
ये 'सूरज बडजात्या' को खुदा मानते हैं, जिन्होंने
'माधुरी' और 'अमृता' को इनके दिल में उतार दिया।
मगर 'डॉ श्रीराम नेने ' और 'शिवम् शुक्ला' तो खुदा के बाप निकले
जिन्होंने 'मकबूल' के दिल को फाड़ दिया।










हम युवा कहाँ जायेंगे..............


मकबूल फ़िदा हुसैन के 'विवाह' देखने के बाद अमृता राव के चित्रों की श्रृंखला बनने की घोषणा के बाद एक युवा कवि के हृदय की वेदना कुछ इस प्रकार पंक्तियों मे आई है जो हम अपने ब्लॉग पर आपके लिए दे रहे हैं.

मियां मकबूल, मियां मकबूल
तुम हो गोभी के सड़े-गले फूल
तुम्हारा दिमाग सटक गया है
तभी १८ वर्षीय कन्या पर दिल अटक गया है
तुम जो ९० की उम्र मे इश्क फर्माओगे
तो हम जैसे लाखों युवाओं की गालियाँ पाओगे
इस उम्र मे भी है तुम्हे एक प्रेयसी की आस
तभी बना रहे हो उसे कला के मध्यम से अपना ग्रास
विवादों मे रहना इसका पेशा है
तभी इस बुढ्ढे ने किया ऐसा है
इन्हे चाहिए जूते,चप्पल और लात
तभी मिटेगी इनके दिमाग से तारिका की आस
इनका इतिहास भी काफी कला है
इन्होने हिन्दू देवियों का आपत्तिजनक चित्र निकला है
माधुरी को गाय और ख़ुद को सांड मे चित्रित किया
इस प्रकार अपनी दूषित और घटिया मानशिकता को प्रदर्शित किया
जब दादा की उम्र के लोग शोडशियों से इश्क फ़रमायेंगे
तो आप ही बताएं हम युवा कहाँ जायेंगे,हम युवा कहाँ जायेंगें.....

शनिवार, 17 मई 2008

सुस्वागतम

सर्व प्रथम मैं आपका और अपना स्वागत करता हूँ इस ब्लॉग की दुनिया मे।
मेरी पूरी कोशिश रहेगी की आप लोगों को रोज कुछ नया दूँ अपने इस ब्लॉग पर।
आप गुरुघंताल के प्रयासों की हौसलाफजई करें।
धन्यवाद..............