गुरुवार, 22 मई 2008

जरनल जिया-उल-हक़ का "ईशनिंदा क़ानून".


कराची के एक कपड़ा फैक्ट्री मे काम कर रहे एक मजदूर जगदीश की अपने मुस्लिम साथी से विवाद हो जाने पर उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। हत्यारे ने पुलिस को कारण अल्लाह की निंदा करना बताया।
जरनल जिया-उल-हक़ ने धार्मिक कट्टरता को पोषण देने के लिए "ईशनिंदा कानून" बनाया था। इसके अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अल्लाह या कुरान की निंदा करता है तो उसकी पत्थर मार कर हत्या कर दी जाए और जुर्म साबित करने के लिए मात्र एक गवाह की जरूरत होगी। गवाह की सत्यता परखने की कोई जरूरत नही होगी। इस कानून से अब तक कई दर्जन हिन्दू और ईसाई की हत्या हो चुकी है।
पाक मे हिन्दू सिंध प्रान्त मे केंद्रित हैं और उन पर जुल्म होता रहता है परन्तु कभी-कभार ही कोई ख़बर आ पाती है। मसलन जब एक ही घर की तीन हिन्दू लड़कियों का जबरन अपहरण कर निकाह कर लिया गया तो पिता ने अदालत से गुहार लगाई। अदालत ने राहत देने के बजाय लड़कियों को मदरसे मे यह कहते हुए डाल दिया कि उन्होंने धर्म परिवर्तन करके निकाह किया है।
पाक मे गैर मुस्लिमों पर अत्याचार, बलात्कार और हत्या आम बात है। इसी डर से अनेक लोग धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बन गए हैं।क्या मानवाधिकार, पत्रकार व अन्य बुद्धिजीवी इस क़ानून के खिलाफ आवाज उठायेंगे? या सिर्फ़ उन्हें कश्मीर, गुजरात और भारत का अन्याय ही दिखाई देता है। अरे भाई ! भारत का सर्वधर्म समभाव और लोकतंत्र भी देखो।

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ab aapne virodh shuru kr diya hai to samjho ki aagaj ho gaya.

PD ने कहा…

सच में बड़का गुरू घंटाल बिलौगवा बनाये हैं.. :)