गुरुवार, 21 अगस्त 2008

लुमडिंग से बदरपुर तक रेल सेवा बंद करने की मांग......





नार्थ-ईस्ट फ्रांटियर रेलवे ने अवैध बंगलादेशी नागरिकों, उल्फा आतंकियों और अन्य देशद्रोहियों से सुरक्षा न मुहैया करा सकने की वजह से लुमडिंग से बदरपुर तक रेल सेवा बंद करने की बात कही है। जबकि चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक रेलवे लाइन बिछा दी है। यह है महाशक्ति बन रहे देश की सुरक्षा की असलियत।


केंद्रीय गृह-मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि सिमी पर से प्रतिबन्ध न हटाया जाय। क्योंकि पूरे देश में उस पर ४०९ मुक़दमे दर्ज हैं और उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। यह वही सिमी है जो लश्कर-ऐ-तैय्यबा,जैश-ऐ-मोहम्मद,हूजी और इंडियन-मुजाहिद्दीन के लिए आउट-सोर्सिंग कर रहा है। संभावना तो यह भी व्यक्त कि जा रही है कि प्रतिबंधित होने पर सिमी ही इंडियन-मुजाहिद्दीन के छद्म नाम से आतंकी कार्यवाहियों को अंजाम दे रहा है।


जबकि हमारे रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, राम विलास पासवान और मुलायम सिंह यादव जैसे कथित समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष नेता सिमी जैसे घातक,आतंकी और राष्ट्रद्रोही संगठन को क्लीन चिट दे रहे हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं।


जब रेल मंत्री ही आतंकियों के पक्ष में बोलता नजर आ रहा है तो वह अपने विभाग को सुरक्षा कहाँ से दिला पायेगा?ऐसा विहंगम दृश्य कहाँ देखने को मिलेगा कि सरकार के अधीन गृह-मंत्रालय जहाँ आतंकी संगठन पर प्रतिबन्ध की मांग करता है, वहीँ उसी सरकार में सम्मिलित कुछ मंत्री उस संगठन को क्लीन चिट दे रहे हैं। यही तो है असली लोकतंत्र का नमूना। क्या इसी के दम पर हम चीन को पिछाड़कर महाशक्ति बनेगे?


फीलगुड की तरह ही इस बार भी देशवासियों को महाशक्ति का झुनझुना पकड़ा दिया गया है। जिसमे हम आत्ममुग्ध हैं। इस डर से हम सरकार पर उंगली नही उठाएंगे और उसके अच्छे-बुरे कार्यों का आँख मूँद कर अनुमोदन करेंगे कि कहीं यह झुनझुना हमारे हाथ से निकलकर चीन के हाथ में न चला जाए।वास्तविकता के धरातल पर देखें तो स्वयं पता लग जाता है कि इस दौड़ में चीन हमसे काफी आगे है। हम तो इस दौड़ में थे ही नही। क्या ये नेता राष्ट्र कि अस्मिता और सुरक्षा को दांव पर लगा कर रोटी खाना चाहते हैं? क्या इन्हे रोकना और सबक सिखाना हमारी जिम्मेदारी नही बनती है? जब सरकार अपने मंत्रियों पर अंकुश नही लगा सकती तो जनता को ही इसके लिए आगे आना होगा।

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