गुरुवार, 28 अगस्त 2008

कश्मीर का श्राइन बोर्ड और महाराष्ट्र का साइन बोर्ड


कश्मीर के श्राइन बोर्ड से लगी आग अभी बुझ भी नही पाई है, और मनसे पार्टी के अध्यक्ष राज ठाकरे महाराष्ट्र में फ़िर से बवाल फैलाना चाहते हैं। इसके लिए वो सहारा ले हैं साइन बोर्ड का।

मराठी में साइन बोर्ड के कैम्पेन को आगे बढाते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सभी साइन बोर्ड को मराठी में करने कि समय सीमा आज २८ अगस्त को समाप्त हो रही है। यदि समय सीमा समाप्ति से पूर्व सभी दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साइन बोर्ड मराठी में नही बदले गए तो इसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ सकता है। साथ ही पुलिस से अपील भी कर रहे हैं कि मनसे कार्यकर्ताओं के साथ नरमी बरती जाय। इसके लिए उन्होंने मुंबई पुलिस को पत्र लिखा है।

मगर मुंबई पुलिस भी क़ानून हाथ में लेने वालों से सख्ती से निपटने के लिए कमर कस चुकी है।

लगभग २ से ३ महीने ख़बरों से गायब रहने के बाद, फ़िर से ख़बर में बने रहने के लिए राज स्टंट शुरू करने जा रहे हैं। नफ़रत की आग फैला कर अपने लिए राजनैतिक जमीन तैयार करने की उनकी इस कोशिश पर लगाम नही लगाई गई तो ऐसे ही चंद कदम महाराष्ट्र को अंधेरे में धकेल देंगे। वैसे ठाकरे परिवार का यह इतिहास रहा है कि इसने अपनी राजनीति कि शुरुवात "आग-राग" गाकर ही की है. उसी प्रथा और परम्परा को राज बुलंदी देने की कोशिश कर रहे हैं।

राज की यह धमकी ही शर्मनाक है ऊपर से पुलिस से मनसे कार्यकर्ताओं के साथ नरमी बरतने की अपील और भी ज्यादा बेहूदगी भरा है। जब मनसे कार्यकर्ता मुंबई में तोड़-फोड़ करते हैं और आम नागरिकों के साथ मार-पीट करते हैं तब उन्हें रहम नजर नही आता। अब वो किस मुंह से अपने कार्यकर्ताओं के साथ नरमी की अपील कर रहे हैं? ऐसे लोगों के साथ कतई नरमी नही बरतनी चाहिए।

बल्कि बवाल फैलाने, भाषाई आधार पर बाँटने कि कोशिश और राष्ट्र को खंडित करने का आरोप में राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए और कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।



1 टिप्पणी:

PRAVIN ने कहा…

वाह भाई साहब क्या खूब कही आपने. इन जैसे नेताओं पर रास्त्र द्रोह का मुकदमा चलना चाहिए. लेकिन मुझे लगता है आप भी कुछ नरमी बरत रहे हैं .मै एक कदम आगे जाकर यह कहता हूं, मुक़दमे की बात छोडिए इन पर तो अब फैसला होने का समय आ गया है.जिस तरह मीडिया के सामने रास्ट्रीय भाषा और अन्य प्रान्तों के लोगो के खिलाफ ये बयानबाजी कर रहे हैं.और अपने कार्यकर्ताओं को इनके खिलाफ उकसा रहे हैं,इनमें और आतंकियों की योजनाओं में अन्तर नही रह गया है.और प्रमाण इकट्ठा कर अपने खिलाफ ये ख़ुद दे रहे हैं.ऐसे में इनको सजा सर्वोच्च न्ययालय अपने अधिकारों का प्रयोग कर दे.जिस व्यक्ति को अपने दायित्वों का ज्ञान नही उसके अधिकारों के लिए चिंतित होना ठीक नही ,उचित यही है की इन्हे जल्दी से जल्दी सजा हो सके फंसी दी जाय देश की एकता अखण्डता और अलगाव वादी स्वार्थी नेताओं को सबक देने के लिए यह बहुत आवश्यक है.