गुरुवार, 7 अगस्त 2008

राजनीति का दलाल या राजनीति का व्यवसाई ????????


एक सफल व्यवसाई से सफल राजनीतिज्ञ का सफर...........

एक क्षेत्रीय दल के अध्यक्ष के खास सिपासालार से केन्द्र की राजनीति की धुरी बनना.........

केन्द्र की गिरती साझा सरकार को ऐन वक्त सहारा देकर बचा लेना.........

फिल्मी दुनिया शहंशाह से लेकर उद्योग जगत के अनिल अम्बानी तक से गहरी दोस्ती रखने के लिए मशहूर.........

हमेशा चर्चा में बने रहने का गुण........

यह सभी कलाएं इशारा करती हैं समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह की ओर जहाँ यह सारे गुण उनके सफल राजनीतिज्ञ होने पर मुहर लगते हैं, वहीँ उनके विरोधी उन्हें सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ दलाल का तमगा देते हैं। वह साथियों के लिए संकटमोचक हैं तो विरोधियों एक मुसीबत। उन्होंने अपने संबंधों का उपयोग अपनी ताकत और पहुँच बनाने के लिए किया, तो फ़िर अपनी ताकत और पहुँच से अपने संबंधियों को लाभ भी पहुँचाया है। अब तो राजनीति ही उनका व्यवसाय बन गई है। आइये मंथन करते हैं कि क्या कारण है कि अमर सिंह राजनीति में हर जगह अपनी गोटी फिट करने में सफल रहते है? क्या उन्होंने राजनीति में व्यवसाय को मिला दिया है? तो शुरू कीजिये मंथन क्योंकि मंथन है आपके विचारों का दर्पण।

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