रविवार, 18 मई 2008

हम युवा कहाँ जायेंगे..............


मकबूल फ़िदा हुसैन के 'विवाह' देखने के बाद अमृता राव के चित्रों की श्रृंखला बनने की घोषणा के बाद एक युवा कवि के हृदय की वेदना कुछ इस प्रकार पंक्तियों मे आई है जो हम अपने ब्लॉग पर आपके लिए दे रहे हैं.

मियां मकबूल, मियां मकबूल
तुम हो गोभी के सड़े-गले फूल
तुम्हारा दिमाग सटक गया है
तभी १८ वर्षीय कन्या पर दिल अटक गया है
तुम जो ९० की उम्र मे इश्क फर्माओगे
तो हम जैसे लाखों युवाओं की गालियाँ पाओगे
इस उम्र मे भी है तुम्हे एक प्रेयसी की आस
तभी बना रहे हो उसे कला के मध्यम से अपना ग्रास
विवादों मे रहना इसका पेशा है
तभी इस बुढ्ढे ने किया ऐसा है
इन्हे चाहिए जूते,चप्पल और लात
तभी मिटेगी इनके दिमाग से तारिका की आस
इनका इतिहास भी काफी कला है
इन्होने हिन्दू देवियों का आपत्तिजनक चित्र निकला है
माधुरी को गाय और ख़ुद को सांड मे चित्रित किया
इस प्रकार अपनी दूषित और घटिया मानशिकता को प्रदर्शित किया
जब दादा की उम्र के लोग शोडशियों से इश्क फ़रमायेंगे
तो आप ही बताएं हम युवा कहाँ जायेंगे,हम युवा कहाँ जायेंगें.....

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

waah !!! gurughantaal ji,
kya baat kahi hai. mera samarthan sweekar karen.